रोशनी और हवा किसी की नहीं होती : आर्यिका

सागर-महावीर दिगंबर जैन मंदिर नेहानगर में चल रहे समवसरण एवं सिद्धचक्र महामंडल विधान में आर्यिका अनंतमति माताजी ने जीवन जीने की कला बताते हुए कहा जीवन जीने का अपना तरीका होता है। धर्म की आराधना करके घर में भी अपना जीवन जी सकते हैं। कमल की भांति कीचड़ में भी स्वच्छ से रहा जा सकता है। उसकी नाल का संबंध कीचड़ से होता है, परंतु उसका असली संबंध सूर्य से होता है। भूत काल के दुख को एवं भविष्य की चिंता को भूलकर वर्तमान का जीवन जिएं। कोई होश में तो कोई जोश में जीवन जीना चाहता है। धार्मिक अनुष्ठान में बगैर बुलाए जाकर भगवान की भक्ति करना चाहिए। जीवन में अभिमान मत करो। रोशनी ओर हवा किसी की नहीं होती
               संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

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