भोपाल -दुनिया के महानतम श्रोता यदि कोई हैं तो वह आचार्य गुरुदेव विद्यासागर महाराज हैं। जिनके पास अपनी व्यथा कहने वाले, उनसे अपनी गलतियों का प्रायश्चित लेने वाले, उनकी प्रशंसा करने वाले और उन्हीं के सामने उन्हीं की निंदा करने वाले भी आते हैं। गुरुदेव सभी की बात को ध्यानपूर्वक सुनते हैं। इस दुनिया में व्यक्ति अपनी प्रशंसा को तो सुन सकता है लेकिन निंदा नहीं। यह बात मुनि श्री सौम्य सागर महाराज ने आचार्य विद्यासागर महाराज के 54वें दीक्षा दिवस पर बुधवार की सुबह प्रवचन सभा में श्री पार्श्व नाथ जिनालय अरिहंत विहार में कही। उन्होंने कहा कि आचार्य श्री के पास रहकर के हमनें स्वयं देखा है। उन्होंने कहा कि एक असमान्य व्यक्ति के दीक्षा दिवस कम शब्दों में कहना बहुत ही मुश्किल है। उन्होंने पांच महा वृतों की चर्चा करते हुए कहा कि पूज्य गुरूदेव के व्यक्तित्व का एक महान गुण है वह है सत्य महावृत। सत्य महा वृत का अर्थ यह नहीं है कि मात्र सत्य बोलना। कभी कभी ऐसा भी हो जाता है कि आपके सत्य बोलने से दूसरे के ऊपर संकट खड़ा हो जाए लेकिन आचार्य श्री के अंदर यह बात हमनें देखा है कि वह सत्य महा वृत पालन करने के लिए कभी झूठ नहीं बोलते। इतने सारे मुनिराजों को अपनी आज्ञा में चलाना और हजारों वृतिओं की बात को ध्यान पूर्वक तथा सहजता से सुनना और उनको प्रायश्चित आदि देना इतना सहज और सरल नहीं है। जो व्यक्ति 53 सालों से अपने पंच महा वृत से कभी इधर से उधर नहीं हुआ हो ऐसे व्यक्ति के व्यक्तित्व को सुनाना सूर्य को दीपक दिखाने के समान है।
{मोक्षमार्ग में दीक्षा ली जाती है दीक्षा दी नहीं जाती
: इस अवसर पर मुनि निर्मद सागर महाराज ने कहा कि गुरुदेव अपनी चर्याओं के प्रति इतने अधिक सजग रहते हैं कि सूक्ष्म से सूक्ष्म क्रिया को भी करते समय पूर्ण सजगता रखते है। गुरूदेव कभी भी अपने आपको कर्ता नहीं मानते। वह हमेशा कहते हैं मोक्षमार्ग में दीक्षा ली जाती है दीक्षा दी नहीं जाती। मोक्ष मार्ग आपके स्वयं का है। उन्होंने कहा कि नए युग की शुरुआत यदि हुई है तो वह आचार्य गुरुदेव विद्यासागर महाराज के साथ हुई है। जिसमें हम जैसे सैकड़ों युवा उनकी चर्या से प्रभावित हुए और दीक्षा ली।
मुनि सौम्य सागर ने प्रवचन देते हुए कहा कि आप सभी ने आज से ही भगवान का मस्तकाभिषेक और शांतिधारा कर पूज्य गुरूदेव की भक्ति और पूजा की। आज इस बात का प्रयास करना कि आज के दिवस किसी से झूठ न बोलना पड़े। इसको आप प्रैक्टिकल करके अवश्य देखिए। यदि वह आज पूर्ण न हो पाए तो घबराने की जरूरत नहीं, फिर दूसरे दिवस प्रयास कीजिए। धीरे-धीरे झूठ बोलने की आपकी आदत छूट जाएगी।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी
