दीक्षा दिवस पर सर्वतो भद्र जैन मंदिर में पहला पिलर लगा, चिकित्सक और भोजन की सेवा देने वाले लोग सम्मानित

सागर-53 वर्ष पूर्व आचार्य ज्ञान सागर जी महाराज से ब्रह्मचारी अवस्था में विद्याधर (आचार्य विद्यासागर) ने ज्ञानार्जन के लिए निवेदन किया तो आचार्यश्री ज्ञान सागर जी महाराज ने कहा कि ऐसे कई विद्याधर आते और उड़ जाते हैं। इस पर ब्रह्मचारी विद्याधर ने कहा भरोसा देना मुश्किल होता है इसीलिए मैं आज से ही किसी भी वाहन का आजीवन त्याग करता हूं और अब कभी घर लौट कर नहीं जाऊंगा। यह बात आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के 54वें दीक्षा दिवस पर प्रथम निर्यापक मुनिश्री समयसागर जी महाराज ने भाग्योदय तीर्थ परिसर में अपने प्रवचन में कही। मुनिश्री ने बताया आचार्यश्री को जब जैनेश्वरी दीक्षा दी गई थी तो आज भी उनका उस समय का स्मरण करते हुए मन भाव विभोर हो जाता है। आचार्यश्री ने अपनी साधना के दम पर विश्व को जो प्रकाश दिया है- भूतो और न भविष्यति। वर्ष 1966 में जब विद्याधर ने संसार से मुख मोड़ने का मन बनाया तो वह एकांकी होकर के निकल पडे। एकांकी होने के बावजूद उनके हृदय में गुरु विराजमान थे। आचार्य देशभूषण जी महाराज से उन्होंने आजीवन व्रत लिया और 7 प्रतिमा का व्रत धारण किया। जयपुर से यात्रा कर श्रवणबेलगोला पहुंचे तब ब्रह्मचारी विद्याधर ने कहा रुकने से मार्ग रोकता है और पुनः वे कर्नाटक छोड़कर वापस राजस्थान पहुंच गए और अपने को आचार्य ज्ञान सागरजी महाराज के चरणो में समर्पित कर दिया।

आचार्यश्री विद्यासागर महाराज का 54वां दीक्षा दिवस भाग्योदय तीर्थ परिसर में बुधवार को तिथि के अनुसार मनाया गया। आचार्यश्री का पूजन सागर नगर के विभिन्न महिला मंडलों, मंदिर के ट्रस्टियों और जन समूह ने किया। सर्वतो भद्र जिनालय परिसर में प्रथम पिलर निर्यापक मुनि समय सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में पूजन अर्चना के साथ स्थापित किया गया। पहले पिलर के पुण्यार्जक रविंद्र जैन मस्त थे। मंदिर निर्माण की विस्तृत जानकारी राकेश पिड़रुआ द्वारा दी गई।
संचालन मुकेश जैन ढाना ने किया। आचार्यश्री का पूजन संजय टड़ा और मनोज कर्रापुर ने कराया। राजकुमार मिनी, सुनील जैन, अंजना जैन ने सर्वतोभद्र जिनालय में एक बड़ी प्रतिमा और णमोकार परमेष्ठी जैन ने सहस्त्र कूट जिनालय में प्रतिमा विराजमान कराने की घोषणा की। इस मौके पर भाग्योदय तीर्थ और बीएमसी में पदस्थ डॉक्टरों का सम्मान किया गया। जिन्होंने कोविड में अपनी सेवाएं निर्बाध रूप से दीं और मरीजों की जान बचाने में अहम भूमिका निभाई। डॉ. मनीष जैन, डॉ. नितिन जैन, डॉ. दीपांशु दुबे, डॉ. सौरभ जैन, डॉ. प्रियंक जैन, डॉ. मिथुन जैन, डॉ. वर्षा शर्मा, डॉ. विशाल गजभिए, डॉ. कविता गहलोत, डॉ. नीरज जैन, डॉ. सौरभ जैन, डॉ. सर्वेश जैन, डॉ. रजनीश मिश्रा, डॉ विकास तिवारी, डॉ. दुर्गेश आदि का सम्मान किया गया। इस मौके पर बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में सकल दिगंबर जैन समाज के द्वारा मरीजों को कोविड काल में निशुल्क भोजन कराने में अपनी महती भूमिका अदा करने वाले अनिल नैनधरा का भी सम्मान समाज के लोगों ने किया। कुंडलपुर के बड़े बाबा और आचार्यश्री के चित्र का अनावरण सौरभ जैन परिवार और नरेंद्र जैन परिवार के द्वारा किया गया। कोविड काल में भाग्योदय के प्रशासक एके जैन, ट्रस्टियों अजित नीटू, प्रदीप जैन पड़ा, ऋतुराज जैन का उल्लेखनीय सेवाओं के लिए उनका सम्मान किया गया।
            संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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