राजस्थान-राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पर सियासी संकट को गुजरे अब एक साल पूरा हो चुका है। पिछले साल जुलाई में ही पायलट और उनके समर्थक विधायकों ने सरकार में सम्मानजन स्थिति को लेकर गहलोत नेतृत्व के खिलाफ बगावत की थी। मामला बिगड़ने के बाद आलाकमान के दखल पर एक कमेटी का गठन कर कुछ समय के लिये खींचतान के माहौल को शांत कर दिया गया, लेकिन रुक-रुककर पायलट और समर्थक विधायकों की टीस फिर से उठती रही है। कांग्रेस का हाथ छोड़ बीजेपी में आये ज्योतिरादित्य सिंधिया को मोदी सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल में मिली पॉजिशन के बाद फिर से बगावती सुर सामने आये हैं।सोशल मीडिया पर 'पायलट' ट्रेंड करने रहा है। पायलट समर्थक विधायक पर फिर से बगावती तेवर और मानेसर या दिल्ली का रास्ता इख्तियार करने की स्थिति बनी तो पीछे नहीं हटने की बात कर रहे हैं।
राजस्थान सरकार और प्रदेश कांग्रेस में चल रही उधल-पुथल को लेकर ऐसा नहीं है कि कांग्रेस आलाकमान इल्म नहीं है, शीर्ष नेतृत्व भी पायलट की नाराजगी से पार्टी को होने वाले नुकसान से वाकिफ है। यही कारण है कि आला कमान और दिल्ली के दिग्गज नेता भी पालयट की लैंडिंग किसी भी सूरत में बीजेपी की जमीन पर नहीं होने देना चाहते। यहीं कारण है कि हाल ही कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने एक बार फिर पायलट का कांग्रेस पार्टी का एसेट बताया था।
इस मामले में ताजा अपडेट यह है कि पायलट खेमे की नाराजगी दूर करने के लिये पार्टी आलाकमान राज्य सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में उनका ख्याल रख सकती है, साथ ही राजनीतिक नियुक्तियों में उनके लिये कुछ सम्मानजन पद दिये जा सकते हैं। इस संबंध में जयपुर दौरे पर आये प्रदेश प्रभारी अजय माकन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से दो दौर की वार्ता पूर कर चुके हैं। और अब सारी रिपोर्ट सोनिया गांधी को देने के बाद जल्द ही प्रदेश कांग्रेस और सरकार में बदलाव पर फैसला हो सकता है। हालांकि अब देखने वाली बात होगी की गहलोत सरकार का आधा कार्यकाल बीतने के बाद भी पायलट खेमे का इंतजार कब खत्म होगा?
