अंदेश्वर तीर्थ जीर्णोद्धार हेतु किया गया भूमिपूजनअंदेश्वर


अंदेश्वर तीर्थ क्षेत्र का होगा जीर्णोद्धार, भूमि पूजन किया

अतिशय क्षेत्र अंदेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएगा, इस हेतु  रविवार को नवीन जिनालय  निर्माण लिए भूमि पूजन किया गया।
अतिशय क्षेत्र अंदेश्वर पार्श्वनाथ तीर्थ क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष जयंतीलाल सेठ व महामंत्री हंसमुख सेठ ने  जानकारी देते बताया की रविवार सुबह की बेला मे आचार्य सुनील सागरजी महाराज ससंघ के सान्निध्य में बोलियों के माध्यम से भूमि पूजन किया। इसके पुण्यार्जक जयंतीलाल सेठ परिवार के पंकज सेठ, अभिषेक सेठ कुशलगढ़ ने विधि विधान के साथ भूमि पूजन किया। इससे पूर्व श्री सम्मेद शिखरजी पर्वत की आकर्षक क्रत्रिम रचना की गयी , जिसके अनावरण का सौभाग्य पंचोली राजेंद्र कुमार पुत्र नथमल जैन कुशलगढ़ को मिला। मोक्ष कल्याणक के पुनीत अवसर पर सम्मेद शिखरजी पर्वत के स्वर्ण भद्रकुट पर अग्निकुमार देव बनकर धीरावत अशोक कुमार, मोतीलाल जैन परिवार ने अग्नि प्रज्जवलित की। निर्वाण लाडू के पुण्यार्जक दोसी राजकुमार जैन, बाबूलाल कुशलगढ़ परिवार ने आचार्य सुनील सागरजी महाराज ससंघ के सान्निध्य में भक्ति करते हुए स्वर्णभद्र कुट टोक पर पूजन के बाद निर्वाण लाडू समर्पित किया। साथ ही कट्‌टू प्रतीक कुमार, सचिन, सुमित कुमार सेठ, पंचोली हंसमुख लाल जैन, राहुल दोसी, राजेश कुमार ने अंदेश्वर के अन्य मंदिरों पर भगवान पारसनाथ की प्रतिमा के सामने निर्वाण लाडू चढ़ाया। 
जिनधर्म को छोड़कर मिथ्या रूपी राजा भी मिले तो विवाह मत करना आचार्य श्री :   मोक्षकल्याणक महोत्सव की पुनीत बेला मे आचार्य श्री सुनील सागर जेआई महाराज ने कहा पार्श्वनाथ ने कमठ के उपसर्ग को सहन करते हुए समता को धारण किया  इसलिए आज पारसनाथ जगत पूज्य संकटहर्ता कहलाने लगे। पारसनाथ ने संकट की घड़ी मे किसी के आगे हाथ नहीं जोड़े बल्कि उन्होंने बाहरी को छोड़ भीतर की आत्मा को खोजा तो सिद्ध हो गए।
युवा पीढ़ी को दिया संदेश 
 आचार्य ने वर्तमान परिप्रेक्ष्य में युवा पीढ़ी के घर से भागकर विवाह करने वाली पीढ़ी को विशेष संदेश में कहा कि जिन धर्म को छोड़कर मित्थ्या रूपी राजा भी मिले तो कभी उनसे विवाह मत करना। ऐसा करने वाली युवा पीढ़ी की लड़के लड़कियां अपने स्वयं के धर्म और कुल का नाश करने वाले बनेंगे। 
आचार्य श्री ने कहा कि ध्यान करो, भगवान चार घातिया कर्मों का नाश करके जा रहे हैं और हम भाग्यशाली है कि यह सब अपने अंतर्मन की ध्यान साधना से महसूस कर रहे हैं।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमडी

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