भगवान की पूजा से सुख समृद्धि और वैभव मिलता है इसलिए करना चाहिए: मुनिश्री

गंजबासोदा-कोई भी वैध डॉक्टर ऐसा नहीं है जो कि मरीज को सीधे ताकत की दवा दे दे। पहले रोग को हटाने की दवा दी जाती है। उसी प्रकार हमें जो जन्म मरण का रोग लगा है। उसकी प्रथम दवा व्रत अणुव्रत है उसके बाद महाव्रत है। बाहर से व्रत पालने के बाद ही वैराग्य आता है और वैराग्य की रक्षा ब्रांड से होती है। यह बात महावीर बिहार में मुनि श्री निरापद सागर जी  महाराज ने चातुर्मास के तहत चल रही धर्म सभा में कहीं। उन्होंने कहा आज व्यक्ति दुखी है वह जिस दिन स्वयं को प्रभावित करने लगेगा किसी की बात सुनना पसंद करने लगेगा वह कभी दुखी नहीं होगा कोई कुछ कहता है तो शांति बनाए रखना चाहिए। मान अपमान के विषय में बताया कि यह जीव कई बार कुत्ता सुअर आदि की पर्याय मैं जा चुका है। इसलिए यह सोचना चाहिए कि उस समय हमें डंडे से पैरों से कितने बार पीटा गया होगा। फिर आज अपमान क्यों लगता है। जब अशुभ कर्मों में समता का अवलंबन लिया जाता है। उन्होंने कहा हमारे सबसे बड़े आदर हमारे भगवान हैं और भगवान ने कोई दोष नहीं होता। इसलिए भगवान की पूजा से हमें बाहर का वैभव तो मिलता ही है साथ में अंतरंग का वैभव भी मिल जाता है। व्यक्ति बाहर से व्रत महाव्रत ले लेते है। साधु बन जाते हैं पर अंतरंग में साधुता नहीं आती परोपकार की भावना मानवता की भावना प्रत्येक जीव के कल्याण की भावना नहीं आती तब तक बह साधु नहीं बन सकता है।
                  संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.