पारसनाथ-शाश्वत तीर्थ सम्मेद शिखर की पावन भूमि पर जप तप व साधना में लीन होकर पावन वर्षायोग कर रहे अन्तर्मना आचार्य 108 प्रसन्न सागर जी महाराज संसंघ के मुनि 108 श्री पीयूष सागर जी महाराज ने उपस्थित श्रावकों के बीच खुशहाल जीवन जीने का मर्म बतलाते हुए कहते हैं कि धर्म प्रेमी बंधुओं अपने जीवन में एक संकल्प लो हर दिन हर पल उन सभी लोगों को धन्यवाद दो जो लोग तुम्हे जानते हैं, पहचानते हैं, तुमसे बात करते हैं, तुम्हारा कुशल क्षेम पूछते हैं। प्रतिदिन ईश्वर को अपने इष्ट को याद करो उन्हें धन्यवाद दो। इस बात के लिए आज तुम्हारा अच्छा दिन बीता। कल फिर धन्यवाद देने के लिए तैयार हो जाओ। प्रतिदिन का तुम्हारा यह संकल्प तुम्हे लोगों के दिलों में ऐसा स्थान बना देगा की हर वो व्यक्ति जिन्हें तुम धन्यवाद दे रहे हो वे लोग तुम्हारी कुशलता की कामना ईश्वर से करेंगे। जितनी बार व्यक्ति के सामने तुम खुश हो कर अपने बीते हुए अच्छे दिन के लिए तुम धन्यवाद दे रहे उतनी बार तुम अपने कषायों का त्याग कर रहे हो।
मुनि श्री 108 पीयूष सागर जी महाराज ने जैन दर्शन को विस्तार से समझाते हुए बताया कि संघ के आचार्य उनके गुरु अन्तर्मना आचार्य 108 प्रसन्न सागर जी महाराज का निरंतर उपवास व पारणा चल रहा है।