आईएएस के पिता ने सन्यासी बनने घर छोड़ा-आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से लेंगे दीक्षा-दीक्षा के पहले के संस्कार शुरू



भोपाल। मप्र में 2005 कैडर के आईएएस अधिकारी राहुल जैन के पिता मल्ल कुमार जैन ने जैन संत बनने के लिए अपने घर परिवार का त्याग कर दिया है। वे दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से दीक्षा लेने जा रहे हैं। दीक्षा के बाद वे कठोर तपस्या करके अपने जीवन का कल्याण करना चाहते हैं। दीक्षा के पूर्व के संस्कार शुरू हो चुके हैं। दिल्ली में पदस्थ उनके बेटे राहुल जैन  दीक्षा समारोह में शामिल होने जबलपुर पहुंच चुके हैं। 72 वर्षीय मल्ल कुमार जैन बैंक के रिटायर अधिकारी हैं। दीक्षा के पूर्व उन्होंने घर परिवार के अलावा सभी तरह के परिग्रह (धन,दौलत आदि) का त्याग कर दिया है।

बैंक ऑफ इंडिया के अफसर रहे मल्ल कुमार जैन ने बैंक से रिटायर होने के बाद अपना जीवन आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज की प्रेरणा से गायों को बचाने के लिए समर्पित कर दिया था। आचार्यश्री की प्रेरणा से देशभर में चल रही गौशालाओं को संचालित करने वाले दयोदय महासंघ के अध्यक्ष के रूप में मल्ल कुमार जैन ने लाखों गायों को बचाने और उन्हें पालने का काम किया है। गौरक्षा के साथ-साथ वे आचार्यश्री की प्रेरणा से घर में रहकर भी सन्यासी जैसा जीवन जी रहे थे। उन्होंने कई बार अपने गुरू आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज से आग्रह किया था कि वे भी गुरू की तरह सब कुछ त्याग कर जैन संत बनना चाहते हैं।

आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज ने दो दिन पहले उन्हें क्षुल्लक दीक्षा देने  की स्वीकृति प्रदान कर दी। इसी के साथ उनके दीक्षा पूर्व के संस्कार शुरू हो गए। मल्ल कुमार जैन दीक्षा लेने से पहले 72 वर्ष की उम्र में जिन-जिन के संपर्क में आए हैं उन सभी से क्षमा याचना करने और सभी को क्षमा करने में लगे हैं। गुरुवार को जबलपुर जैन समाज ने उन्हें दूल्हे के रूप में सजाकर शहर में उनकी बिनौरी यात्रा निकाली। इस अवसर पर समाज की महिला-पुरुषों ने उनकी गोद भराई की। मल्ल कुमार जैन व्यक्तिगत रूप से और सामूहिक रूप से अपने परिजनों, रिश्तेदारों, मित्रो और संपर्क में आए सभी लोगों से जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना कर रहे हैं और सभी को क्षमा करने की बात भी कर रहे हैं।

दीक्षा के साथ बदलेगा जीवन
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अगले कुछ घंटे में जबलपुर के तिलवारा घाट में आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज मल्ल कुमार सहित लगभग 2 दर्जन श्रावकों को क्षुल्लक दीक्षा देंगे। दीक्षा होते ही सभी सन्यासियों का जीवन बदल जाएगा। एक टाईम भोजन करेंगे, पदविहार करेंगे और कठोर साधना के साथ तपस्या करते हुए जीवन का कल्याण करेंगे।

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