बांसवाडा-गुरु मां अर्हम श्री माताजी ने अपने संयम दिवस पर उद्बोधन देते हुए कहा गुरुदेव से यही प्रार्थना है कि संयम दिया है, तो साहस भी देना। इस संयम के मार्ग पर दृढ़ता से बढ़ते रहें । । जो विशुद्धि दीक्षा के दिन थी वहीं विशुद्धि जीवन भर बनी रहे। पूज्य गुरुवर ने बहुत उपकार किया है, जो मुझे इस संसार से पार होने के लिए यह जैनेश्वरी दीक्षा प्रदान की। इस संसार से पार होना है, तो संयम रूपी नाव पर सवार होना होगा तभी इस संसार रूपी समुद्र से पार हो सकेंगे। सच्चा सुख को प्राप्त करना है, तो जीवन में संयम को धारण करना होगा। गुरु तो वह है, जो अपना कल्याण करते हैं मगर साथ ही पर जीवों का कल्याण करते हैं। ऐसे मेरे गुरुवर विभव सागर जी महाराज जिन्होंने मेरे जीवन को संयम से भर दिया। आज तो मेरे गुरु ने मुझ पर उपकार किया है। आज मेरे गुरु के उपकार को याद करने का दिन है जिन्हें जीवन भर और कई जन्मों तक नहीं चुका सकती। चातुर्मास कमेटी के प्रवक्ता महेंद्र कवालीया बताया संचालन महिपाल शाह ने किया। आभार अध्यक्ष महेंद्र वोरा ने जताया।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
