शिवपुरी- नैनो यूरिया (तरल) पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करने का उत्तम स्रोत है। पौधों की अच्छी बढ़वार एवं विकास में नाइट्रोजन अहम भूमिका निभाता है। नैनो यूरिया के देशभर में विभिन्न फसलों एवं मृदा-जलवायु क्षेत्रो में किए गए परीक्षणों द्वारा यह सिद्ध हुआ है कि यूरिया जैसे पारंपरिक नाइट्रोजनयुक्त उर्वरकों के प्रयोग में 50 प्रतिशत तक की कटौती नैनो यूरिया द्वारा की जा सकती हैं।
एक स्वस्थ पौधे के भौतिक क्रियाओं को सूचारु रुप से चलाने के लिए फसल की पत्तियों में लगभग 4 प्रतिशत नाइट्रोजन होना चाहिए। नैनो यूरिया का पौधों की क्रांतिक वृद्धि की अवस्थाओं पर पर्णीय छिड़काव करने से उपज में बढ़ोतरी होती है। जिसका पर्यावरण पर कुप्रभाव नहीं पड़ता है। नैनो यूरिया के प्रयोग से पर्यावरण शुद्ध रहता है और नाइट्रोजन उपयोग क्षमता बढ़ने से फसल की उपज, गुणवत्ता और किसानों के लाभ में भी सार्थक वृद्धि होती है। यह फसल की पैदावार को प्रभावित किए बिना यूरिया व अन्य नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों की बचत करता है।
उपयोग की विधि
नैनो यूरिया की 2-4 मिली. मात्रा एक लीटर पानी में घोलकर फसल की प्रारम्भिक वृद्धि की अवस्थाओं पर नाइट्रोजन की आवश्यकतानुसार छिड़काव करें। एक एकड़ जमीन के लिये 125 लीटर पानी की मात्रा पर्याप्त होती है। अच्छे परिणाम के लिए दो छिड़काव आवश्यक होते हैं-पहला छिड़काव कल्ले/शाखाएँ निकलने के समय (अंकुरण के 30-35 दिन बाद या रोपाई के 20-25 दिन बाद) तथा दूसरा छिड़काव फूल आने के 7-10 दिन पहले करना चाहिए।
