पोहरी : बीते दिनों ग्वालियर अंचल आई बाढ़ ने सड़क,पुल से लेकर आम आदमी का जीवन अस्त व्यस्त कर दिया था, किसानों की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई थी, उपजाऊ जमीन पानी में बह गई और खेतों में बंजर भूमि का मंजर आंखों के सामने आ गया । चारों तरह पानी ही पानी देख आमजन संकट में था, सरकार ने जमीन पर आकर लोगों को बचाने के लिए एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम भेजी जिन्होंने बाढ़ में फँसे लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया था । सरकार के कई मंत्री को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करते देखा गया तो राज्य के गृहमंत्री को सेना के हेलीकॉप्टर से लटकते हुए तस्वीर मीडिया की सुर्खियों में था । प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हवाई दौरा कर बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर मुआयना किया और किसानों को भरोसा दिलाया था कि आपके नुकसान की पाई पाई का भुगतान मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार करेगी,लेकिन मुख्यमंत्री के वादों की पोल खोल रहे हैं जनसुनवाई के लिए कलेक्टर कार्यालय में मुआवजे की गुहार लगाते किसान ।
दरअसल मामला ग्राम श्यामपुर गोपालपुर हल्का नम्बर 2 विकास खण्ड शिवपुरी का है, ग्रामीणों ने राज्यमंत्री सुरेश राठखेड़ा को पत्र लिखकर अवगत कराते हुए बताया है कि बाढ़ में न केवल उनकी फसल बर्बाद हुई है बल्कि खेत पूरी तरह से बह गए हैं, खेतों में पत्थर निकल आए हैं लेकिन पटवारी द्वारा वस्तुस्थिति का सर्वे नहीं किया गया है और इस संबंध में जब कलेक्टर को आवेदन दिया तो जबाव में कहा गया कि प्रशासन को मुआवजा संबंधी कोई दिशा निर्देश सरकार की ओर से प्राप्त नहीं है, ऐसे में अब सरकार के हवाई वादों की पोल खुल रही है कि यदि अधिकारी मुआवजे को लेकर इस तरह के बयान दे रहे हैं तो फिर वो कौन थे जिन्हें मुख्यमंत्री ने किसानों के पशुओं की मौत से लेकर फसल के नुकसान की भरपाई करने के निर्देश दिए थे, या फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा इस तरह की बात करके राजनीतिक जुमला देने की कोशिश मात्र थी, आखिरकार इन तवाह हो चुके किसानों की पुकार कौन सुनेगा, ये लोग वही है जिन्हें सरकार ने अपर ककैटो परियोजना में विस्थापित कर दिया था ।
