जौरा : सरकार ग्रामीण विकास के कितने भी दावे कर ले लेकिन हालात जस के तस हैं, जल जीवन मिशन आ जाये या नल योजना विस्तारीकरण, ग्रामवासियों को पानी नसीब नहीं हो पा रहा है । जौरा तहसील की ग्राम पंचायत गेहतौली में पेयजल संकट गहराता जा रहा है, गाँव के अधिकतर हैंडपंप खराब पड़े हैं, नल जल योजना पूरी होने से पहले ही धराशायी हो चुकी है ऐसे में ग्रामवासी निजी पैसे से खरीदकर जल पीने को मजबूर हो रहे हैं । प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंचों से सरकार की प्रशंसा में अक्सर यह कहते हुए सुना जाता है कि अब ग्रामीण इलाकों में माता बहिनो को अब हर घर में नल से जल उपलब्ध कराने का बीड़ा सरकार ने उठाया है, लेकिन धरातल पर कितनी सत्यता है इसका अनुमान गेहतौली गांव की पेयजल समस्या से लगाया जा सकता है । ग्राम पंचायत गेहतौली के ग्राम गेहतौली और कुसमानी में संयुक्त रूप से सरकार की पेयजल योजना स्वीकृत हुई जिसके तहत पाइपलाइन बिछाकर हर घर को नल कनेक्शन देकर पानी पहुंचाने का उद्देश्य सरकार का था लेकिन यह योजना ठेकेदार की लापरवाही की भेंट चढ़ गया ।
काम अधूरा छोड़कर भागा ठेकेदार-नल जल योजना का कार्य लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की देखरेख में हो रहा था, ठेकेदार ने घटिया किस्म की सामग्री इस्तेमाल कर पाइपलाइन आधे गांव में जमीन के अंदर तो आधे गांव में सीसी रोड की बनी नाली में खुला डाल दिया है जो पूरी तरह खराब हो गए हैं, नलों से पानी तो ग्रामवासियों को तब नसीब होगा जब ग्रामीणों को नल कनेक्शन दिए जाएंगे, नल कनेक्शन तो दूर ठेकेदार अधूरा काम छोड़कर लापता हैं और पीएचई विभाग के आला अधिकारी आँखे बंद किए हुए हैं । सरकार कितने भी दावे कर ले कि ग्रामीण विकास की ओर उसका ध्यान है लेकिन सरकार की योजनाओं में पलीता लगाने का काम अफसरशाही की मिलीभगत से ठेकेदार कर रहे हैं और सब आँखे मूदकर सरकारी खजाने को लुटता हुआ देख रहे हैं, जनता की परेशानी अभी भी परेशानी ही बनी हुई है, ग्रामीण महिलाएं दूर दराज के कुओं से पानी लाने को मजबूर हैं या फिर निजी पैसे से पानी खरीदकर पीने को मजबूर हैं ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि जब सब कुछ जनता को ही करना था तो सरकार क्या करेगी, जनप्रनिधि जनता के दुख दर्द को कब समझेगी ।
