अवतरण दिवस पर नमन
कुंद कुंद के समयसार का सार हमे जो बता रहे समंतभद्र का डंका जो घर घर द्वार द्वार बजा रहे भोले भाले अनाथ जन के जो है पावन धाम ऐसे गुरुवर विद्यासागर को शत शत प्रणाम
कुछ गुरुवर के चरणों मे
श्री मति माँ तेरा लाला कितना भोला भाला है ये तो महाव्रत पाले है तुमने जिसको पाला है है माता तेरी महिमा माँ मे स्वर्ग समाया है श्री मति माँ तेरा लाला कितना भोलाभाला है
माँ श्रीमति है बडभागी आज ये किस्मत जागी मुनियों के नाथ मुनि जन्मे है मनवा हुये वैरागी शरद पूर्णिमा का चंदा घर घर मे आया है श्री मति माँ तेरा लाला
श्रीमति माँ के अगना मे थूमक चलत है लाला पितामल्ल्पा जग से कहे देखो बाल है निराला पूर्व जन्म के पुण्य है तब ऐसा सुख पाया है श्रीमति माँ तेरा लाला कितना भाला है माता तेरी महिमा तुझमे स्वर्ग समाया है
जिनगुरु का नहीं कोई पंथ केवल इनका एक पंथ जो है आगम पंथ संतो के संत महासंत जय हो विद्यासागर गुरु निर्ग्रन्थ ऐसे त्यागी महासंत का सारा जग सदा सदा ऋणी रहेगा ऐसे महान कार्य जिसमे बालिका बहिनों के लिए प्रतिभास्थली की स्थापना भाग्योदय चिकत्सालय की स्थापना गोसरक्षण हेतु दयोदय गोशालाओ का निर्माण आज गुरुवर द्वारा लिखी गयी कृति मूकमाटी महाकाव्य बनारस हिन्दू विश्वविधालय मे शामिल है ऐसा निष्प्रह साधक सदा सदा जयवंत है
शत शत नमोस्तु सहित अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी