विश्व वन्दनीय आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य चतुर्थ काल की चर्या के धारी मुनि श्री १०८ विनीत सागर जी महाराज
जिनकी निष्प्रहता जिनकी निष्काम साधना अदम्य साहस सचमुच अद्वितीय है जो सचमुच देखते ही बनता है ऐसी साधना इस वर्ष भवानीमंडी नगर को देखने को मिल रही है। आपके अन्दर अध्यात्म कूट कूट के भरा है उनकी साधना तप का यह प्रभाव आज की युवा शक्ति भी भौतिकता की चकाचोंध से हटकर आज नगर का युवा धार्मिक कार्यो में संलग्न होकर नित्य प्रति अभिषेक पूजन नियम संयम की ओर अग्रसर दिखाई दे रहा है।
मुनि श्री हर क्षण मुस्कुराते
बड़ी बड़ी कमियों को निर्मल भाव से समझाते
भूले पथिक को राह दिखाते
मेरे गुरु विनीत सागर कहलाते है।
कुंद कुंद के समयसार का सार हमे जो बता रहे
समन्तभद्र का डंका घर घर द्वार द्वार बजा बजा रहे
भोले भाले अनाथ जन के जो है पावन धाम
ऐसे गुरुवर विनीत सागर जी को शत शत बार प्रणाम
मुनि श्री का जीवन परिचय
दीक्षा पूर्व नाम - बाल ब्र.कुलभूषण जी बारे (जैन)
पिता का नाम - श्री गणपत जी बारे (जैन)
माता का नाम - श्रीमति फूलाबाई जी बारे (जैन)
जन्म/दिनाक / तिथि/ 9-2-1961 फाल्गुन कृष्ण 8 वि.सं.2017
दिन स्थान - महातपुर जिला सोलापुर (महाराष्ट्र)
शिक्षा - बी.एस.सी. (प्रथम वर्ष)
ब्रह्मचर्य व्रत -14-9-1990 श्री दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र मुक्तागिरी जी जिला बेतुल (म.प्र.)
क्षुल्लक दीक्षा - 7-10-1995 अश्विन शुक्ल 14 शनिवार वि.सं 2052
स्थान - दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र कुण्डलपुर जिला दमोह (म.प्र.)
ऐलक दीक्षा - 21-8-1996 श्रावण शुक्ल 7 वि.सं 2053
स्थान दिन - श्री दिगंबर जैन अतिशय धाम महुआ जी (गुजरात)
मुनि दीक्षा - 16-10-1997 अश्विन शुक्ल 15 (शरदपूर्णिमा) गुरुवार
वि.सं 2054
स्थान - सिद्धोदय सिद्ध क्षेत्र नेमावर जी जिला देवास (म.प्र.)
दीक्षा गुरु - विश्व वन्दनीय आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
शत शत नमोस्तु अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी