भगवान के जन्मकल्याणक पर निकला भव्य जुलूस, खेल मंत्री ने भी की शिरकत



शिवपुरी- 07 दिसम्बर मंगलवार को भगवान आदिनाथ का जन्म कल्याणक महोत्सव बड़ी धूमधाम और भव्यता के साथ मनाया गया। इसमें महती धर्म प्रभावना के साथ शिवपुरी शहर में 3 हाथी, 21 घोड़े, 18 बग्घी, 5 दिव्य घोष एवं 3 बैंड पार्टियों के साथ बालक आदिकुमार का भव्य जुलूस निकाला गया। जुलूस इतना विशाल था कि इसका पहला छोर गुरुद्वारा चौराहे पर था तो दूसरा छोर हंस बिल्डिंग पर। इस पूरे आयोजन के लिए शिवपुरी शहर को जगह-जगह स्वागत द्वारों और बैनरों के माध्यम से दुल्हन की तरह सजाया गया। यह जन्म कल्याणक का जुलूस अयोध्यानगरी गांधी पार्क ग्राउंड से प्रारंभ होकर, न्यूब्लॉक, ए. रोड़, माधव चौक, गुरुद्वारा, राजेश्वरी रोड, कोर्ट रोड होकर हुआ गांधीचौक, धर्मशाला रोड, आर्य समाज रोड़ होता हुआ पुन: गांधी पार्क पहुंचा, जहां पाण्डुकशिला पर भगवान का 1008 कलशों द्वारा बालक आदिकुमार का अभिषेक सौधर्म इन्द्र अमित जी अमीषा जैन जड़ी-बूटी परिवार द्वारा किया गया। वहीं कुबेर बने देशराज जी मधु जी चौधरी द्वारा पूरे रास्ते रत्नों की वृष्टि की। महायज्ञनायक बने पंकज-श्रीमती मोनिका जैन अरिहंत फर्नीचर परिवार भी हाथी पर सवार होकर पुष्प वृष्टि कर रहा था। इस पूरे आयोजन की खास बात यह रही कि इस पूरे आयोजन में पुण्यार्जक परिवारों द्वारा हेलिकॉप्टर से पुष्पवृष्टि भी की गई। वहीं सुधासागर रेजिमेंट खनियाधाना के 150 सदस्य भी परेड करते हुए कदमताल मिला कर चल रहे थे। साथ ही कर्नाटक, सिरोंज के दिव्यघोष भी शामिल हुए। इससे पूर्व प्रातः 8:05 पर जैसे ही बालक आदिकुमार का जन्म हुआ, संपूर्ण नगरी में हर्ष छा गया और उन्होंने नृत्य कर कर अपनी खुशी जाहिर की। इस अवसर पर पूज्य अभय सागर जी महाराज ने अपने प्रवचनों में कहा कि काल का परिगमन कैसे होता यह आपको पँचकल्याक में देखने को मिलेगा। कैसे एक आत्मा राग रंग में रहकर भी परमार्थ की ओर कदम बढ़ाता है। उंन्होने कहा कि आचार्य भगवन ने कौशल विकाश के क्षेत्र बहुत कार्य किया है, और हथकरघा के माध्यम एक ओर हज़ारों युवाओं को जहां रोजगार से लगाया है, वहीं दूसरी ओर जहाँ वस्त्र निर्माण में मटन टेलो जैसी हिंसक सामग्री का उपयोग किया जाता है, वहीं इस वस्त्र निर्माण में पूर्ण अहिंसा का पालन भी किया जाता है।इस अवसर पर पूज्य मुनि श्री प्रभात जी महाराज ने अपने प्रवचनों में कहा कि, जब तीर्थंकर बालक गर्भ में आता है, उसीका जन्मकल्याणक होता है। आप लोगों को गर्भाधान के पूर्व भगवान का पूजन अभिषेक करें और सिर्फ संतान उतपत्ति के लिए विषयभोग करना चाहिए। आज सब मटियामेट हो गया, आज स्वयं संस्कारित नहीं होते तो संतान भी संस्कारित नहीं होती। एक कड़बी सच्चाई है, जिनके बच्चे बड़े पदों पर रहते हैं, उनके ही माँ बाप वृद्धाआश्रम में रहते हैं, क्योंकि उन्हें संस्कार नहीं दिए गए। आज भगवान के जन्मकाल्याण पर आप भी भावना भाएँ की हमारा भी जन्मकल्याणक हो। पूज्य मुनि श्री ने हिदायत भी दी कहा कि, आजकल जन्मदिन पर केक बवेरह काटना और मोमबत्ती बुझाने का चलन चल रहा है, यह हमारी संस्कृति नहीं।  आप जन्मदिन पर दीपक जलाकर प्रकाश की बात करें। परन्तु आप अगर बुझाते हैं तो उसके जीवन में अंधकार ही बड़ा रहे हैं। 
गौरक्षा का संकल्प सभी को लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज स्वच्छता की बात यो करते हैं ,परन्तु आप गंदगी करने में माहिर हैं। कचरे को नियत स्थान पर भेजें तो कचरा नहीं होगा। आप पॉलीथिन में खाने की सामग्री आदि फेंक देते हैं, जिससे गाय उसे खाती है, और जिसके कारण उसकी जान भी चली जाती है। मूक पशुओं के दान करना बड़े पुण्य की बात है। 

जुलूस में दिखा अनूठा वात्सल्यमयी नज़ारा-भगवान के जन्म कल्याणक जुलूस के दौरान स्थानीय कोर्ट रोड पर एक अनोखा वात्सल्यमयी दृश्य देखने को मिला, जिसमें एक गाय एक सूअर के बच्चे को दूध पिला रही थी। ऐसा कम ही देखने में मिलता है। उल्लेखनीय है आज प्रात: काल ही महाराज जी ने प्रवचनों में गाय के महत्व के बारे में बताया था। और जुलूस के दौरान यह मनोरम दृश्य देखने को मिला। जिसने देखा दांतों तले उंगली दबा ली। और लोग इसे होनहार वीतरागी प्रभु की करुणा की महिमा बता रहे थे। 
हर धर्म के व्यक्ति ने किया जुलूस का स्वागत-भगवान के जन्मकल्याणक पर आयोजित भव्य कार्यक्रम में विभिन्न समाजसेवी संगठनों ने भी समाज सेवा की। उन्होने अपना स्टॉल लगाया और कार्यक्रम में सभी लोगों का पानी, केसर का दूध का, आइसक्रीम व अन्य सामग्री वितरण कर समाजसेवा की गई। और जुलूस में शामिल लोगों की कई स्थानों पर जल आदि पिलाकर सेवा की।
खेल मंत्री यशोधरा राजे भी हुईं शामिल-पंचकल्याणक महोत्सव में मध्यप्रदेश की खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने शामिल होकर मुनि संघ से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर समाज द्वारा खेल मंत्री का स्मृति प्रतीक भेंट कर सम्मान किया गया। इस अवसर पर उंन्होने अपने उद्बोधन में कहा कि मैं आभारी हूँ कि सन्तो का मार्गदर्शन हमें हमेशा मिलता रहता है। जैन दर्शन का जिओ और जीने दो ये एक मंत्र है, जिसे हमेशा मैंने अपने सामने रखकर जीवन जिया है। जब सब लोग इस मंत्र को अपने जीवन में धारण कर लेंगे तो हम सब धन्य होंगें।  जब हमारा मन इस बात के लिए तैयार हो जाये कि हमारे कारण किसी को चोट न लगे। अगर यही हमारी कोशिश होगी तो जिओ और जीने दो की ये पंक्तियां सार्थक हो जाएंगी।
08 दिसम्बर को होंगे यह कार्यक्रम-8 दिसम्बर बुधबार को प्रात: 6:45 बजे अभिषेक-शांतिधारा, पूजन 9 बजे बजे मुनिश्री के मंगल प्रवचन। दोपकर 12:05 बजे तप कल्याणक महोत्सव। महाराजा नाभिराय का दरबार, विवाहोत्सव, राज्याभिषेक, नीलांजना नृत्य, वन प्रस्थान, दीक्षा संस्कार विधि, मुनिश्री के मंगल प्रवचन। रात्रि 6:30 पर गुरुभक्ति, महाआरती एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम।
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