हाथी से उतरकर कैलाश थामेंगे कांग्रेस का हाथ,पोहरी में बदलेंगे समीकरण ,


पोहरी : सर्दी के मौसम में चुनावी माहौल ने सरगर्मियां तेज कर दी हैं । पार्टियों ने 2023 को ध्यान में रखते हुए कमर कस ली है तो वहीं दूसरी तरफ दावेदारों ने गांव-गांव,  गली-गली में अपना जनसंपर्क शुरू कर दिया है ,पार्टी आलाकमान के भोपाल दफ्तर तक भी मैराथन जारी है । चुनावी समय में आयाराम - गयाराम चलता है यह कोई बड़ी बात नहीं है । 2023 में कांग्रेस सत्ता में आने के लिए प्रयासरत है तो वही भारतीय जनता पार्टी पांचवी बार मध्य प्रदेश की सत्ता पर काबिज होना चाहती है , इसके लिए अभी से दोनों ही पार्टियों ने अपनी - अपनी रणनीति बनाना शुरू कर दी हैं । 2023 में पोहरी विधानसभा क्षेत्र के समीकरण पूरी तरह से पलटते हुए दिखाई दे रहे हैं । 2018 में पोहरी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के सुरेश धाकड़ ने भारतीय जनता पार्टी के दो बार के विधायक प्रहलाद भारती को हराया था लेकिन सत्ता के उलटफेर में सुरेश धाकड़ ने गले में भाजपा का दुपट्टा पहना और उपचुनाव में जीत हासिल कर शिवराज सरकार में पीडब्ल्यूडी राज्य मंत्री बन गए ।

भारतीय जनता पार्टी की ओर से 2023 में सुरेश धाकड़ अघोषित उम्मीदवार हैं तो वही कांग्रेस से पूर्व जनपद अध्यक्ष प्रदुमन वर्मा का नाम प्रमुखता से सामने आ रहा है , हालांकि दोनों ही दलों में दावेदारों की फेहरिस्त बहुत लंबी है । सूत्रों की माने तो 10 फरवरी को पोहरी विधानसभा के बैराड़ में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की आमसभा प्रस्तावित है और इससे पहले एक खबर राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई है । जानकारी के अनुसार बहुजन समाज पार्टी के दो बार के प्रत्याशी रहे कैलाश कुशवाह 10 फरवरी को कमलनाथ के समक्ष अपने हजारों समर्थकों के साथ कांग्रेस की सदस्यता ले सकते हैं । सूत्रों के मुताबिक 2023 में कांग्रेस कैलाश कुशवाह को टिकट देगी, यदि ऐसा होता है तो पोहरी के समीकरण पूरी तरह से बदल जाएंगे । खबर तो यह भी है कि यदि कांग्रेश कैलाश कुशवाह को टिकट देती है और भारतीय जनता पार्टी अपने सेटिंग एमएलए पर ही विश्वास करती है तो भारतीय जनता पार्टी के एक बड़े नेता हाथी की सवारी कर सकते हैं । कैलाश कुशवाह हाथी की सवारी कर जब वो भोपाल नहीं पहुंच सके तो वे अब हाथी से उतरकर कांग्रेस का हाथ थाम कर भोपाल जाने की तैयारी कर रहे हैं हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि कैलाश कुशवाह टिकट के वादे पर ही कांग्रेस का हाथ थाम रहे हैं या फिर उनका बसपा से मोहभंग हो गया है हालांकि बसपा में उनके पास एक बड़ा जनाधार था । 2018 में उन्होंने ना केवल भाजपा को तीसरे नंबर पर पहुंचा दिया बल्कि कांग्रेस के प्रत्याशी की जीत का अंतर भी बहुत कम कर दिया था ।
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