पुरुष एक पेड़ के समान होता है, उसे सहारे की जरूरत नही होती निर्भय सागर जी

 दमोह -वैज्ञानिक सन्त आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज ने कहा देश में चल रहे लव जिहाद के माध्यम से धर्मांतरण   को रोकने के लिए सरकार ने जो नया कानून लाने का प्रस्ताव रखा है वह एक सराहनीय कार्य है यह कानून बहुत पहले आ जाना था। लेकिन जहां तक मैं समझता हूं अकेले क़ानून लाने बनाने से लव जिहाद औऱ धर्मांतरण की घटनाएं नही रुकेगी। उसको रोकने के लिए लव जिहाद की जानकारी कौमार्य अवस्था से तरुण बेटियों को देने की परम आवश्यकता है, क्योकि मेने अभी तक देखा है कि 95 प्रतिशत बेटियों को लव जिहाद सम्बन्ध में कोई जानकारी नही है। इसीलिए सर्वप्रथम नुक्कड़ सभाओ के माध्यम से निबन्ध प्रतियोगिता एवम उपदेशो के माध्यम से बालक बालिकाओ को लव जिहाद की जानकारी देना चाहिए।
 लव जिहाद का कानून वोट की राजनीति से परे, देश समाज और युवतियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए होना चाहिए।    आचार्य श्री ने कहा नारी को अपना  विकास करने के लिए सहारे की आवश्यकता होती है। जैसे बैल तभी विकास कर सकती है जब उसे सहारा मिल जाए अन्यथा वही पड़ी पड़ी सड़ जाती है, उसमे कोई फल नही लग पाते है, उसी प्रकार नारी को विकास करने के लिए सहारे की जरूरत होती है, पुरुष पेड़ के समान होता है उसे अपना विकास करने के लिए सहारे की जरूरत नही होती।
     नारी भावुकता में जल्दी बह जाती है
   आचार्य श्री ने कहा नारी के स्वतन्त्र घूमने पर प्रतिबन्ध इसीलिए लगाया जाता है कि जैसे बेल जो नजदीक होता है उसी से लिफ्ट जाती है वह यह नही देखती थी यह कटीला है या जंग खाया है और एक बार लिफ्ट जाने के बाद वह टूटने को तो  तैयार रहती है लेकिन उसे हटाना चाहो तो वह नही हटती है। वैसे ही नारी उससे लिफ्ट जाती है उसे छोड़ने को तैयार नही होती है। नारी भावुक होती है भावुकता मे जल्दी वह जाती है, कभी कभी वह अपनी विवेक बुद्धि को खो देती है और गलत निर्णय ले लेती है, जिससे उसको पछताना पड़ता है।इसी वजह से माँ बाप बेटियों के स्वतंत्र घूमने पर प्रतिबंध लगाते है। जो भारतीय संस्क्रति के अनुसार उचित है अनुचित नही।
     संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.