मड़रका के लिए मुसीबत बना पचीपुरा तालाब बरसात में टापू बना मडरका गाँव,जान जोखिम में डालकर करते है नदी पार

नासिर खान बैराड़-पोहरी विधानसभा की बैराड़ तहसील के तहत आने वाली ग्राम पंचायत देवरीकलॉ के मड़रका गांव के लिए पचीपुरा तालाब लाल मुसीबत बन गया है जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के चलते विकास से काफी दूर यह गांव बरसात के समय टापू बन जाता है। यहां के ग्रामीण ऐनपुरा-मडरका के बीच पुल के निर्माण के लिए पिछले चार वर्षों में कई बार कलेक्टर के यहां जनसुनवाई से लेकर सांसद,मंत्री और विधायक तक से गुहार लगा चुके हैं, सौभाग्य कहें या दुर्भाग्य यह गाँव उस पोहरी विधानसभा क्षेत्र में आता है जहां विगत लगभग 10 वर्षों से सत्ता पक्ष का विधायक है और केन्द्र सरकार में  मंत्री के संसदीय क्षेत्र में आता है बावजूद इसके अभी तक ग्रामीणों की इस समस्या का समाधान नहीं हो सका है। यहां परेशान उस वक्त सबसे बड़ी हो जाती है, जब कोई ग्रामीण रात के समय बीमार हो जाता है। पुल न होने के कारण रात में ग्रामीण मरीज को दिखाने नहीं ले जाते, क्योंकि पुल नहीं होने के कारण बारिश में नदी पार करते समय जान जाने का खतरा बना रहता है।
देवरीकला पंचायत का मड़रका गांव पचीपुरा तालाब बनने से बरसात के मौसम में टापू में तब्दील हो जाता है। जल संसाधन विभाग की लापरवाही के कारण लगातार चार बर्षों से मड़रका गांव के चारों तरफ बरसात में  तालाब का पानी भर जाने की वजह से इन दिनों ग्रामीण अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर बिजली के खंभे से बने अस्थायी पुल के सहारे पार्वती नदी पार करने पर मजबूर हो रहे हैं। लेकिन पिछले सप्ताह भर से लगातार जारी बरसात के कारण ग्रामीणों द्वारा बिजली के खंभों से बना अस्थायी पुल भी टूट गया है

जनसुनवाई से लेकर सांसद,मंत्री विधायक से की मांग,नहीं बन पाया पुल-जल संसाधन विभाग द्वारा जिस समय पचीपुरा तालाब का निर्माण कार्य कराया जा रहा था, उसी वक्त पचीपुरा के ग्रामीणों ने जल संसाधन विभाग और प्रशासन के आला अफसरों के समक्ष एनपुरा व मड़रका के बीच पड़ने वाली नदी पर पुल का निर्माण किए जाने की मांग की थी। उस समय आला अफसरों ने ग्रामीणों को इस बात का आश्वासन दिया था कि उनके आवागमन की समुचित व्यवस्था की जाएगी, लेकिन फिर अधिकारियों ने अपने वादे पर अमल नहीं किया। ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने कई बार ऐनपुरा-मडरका के बीच पुल के निर्माण के लिए कलेक्टर के यहां जनसुनवाई से लेकर सांसद,मंत्री और विधायक तक से गुहार लगा चुके हैं और गुहार लगाने के बाद भी उनकी समस्या का निराकरण नहीं हो पाया और अभी तक ग्रामीण पुल बनने की बांट जोह रहे हैं।

इलाज के लिए भी तरसते हैं ग्रामीण-ग्राम मडरका में रहने वाले लखन बघेल, यशोधरा जाटव, पंचूराम बघेल व विद्या बघेल का कहना है कि पचीपुरा तालाब में बारिश का पानी जमा होने से वह गांव से बाहर निकलने के लिए परेशानी उठानी पड़ती है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में अगर रात में कोई बीमार पड़ जाए या किसी महिला को प्रसव पीड़ा हो तो इलाज के लिए परेशान होना पड़ता है चारों तरफ पानी भरा होने से हम बीमार लोगों को इलाज के लिए बैराड़ और पोहरी स्वास्थ्य केंद्र पर नहीं ले जा पाते हैं। इस वजह से कई बार बीमार लोगों की हालत बिगड़ जाती है।

जल संसाधन विभाग की लापरवाही से फंसे ग्रामीण-ग्राम मडरका में रहने वाले चार सैकड़ा लोगों की जान बरसात के मौसम में जल संसाधन विभाग की लापरवाही से जोखिम में बनी हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि पचीपुरा तालाब के निर्माण के समय जल संसाधन विभाग के अधिकारी एनपुरा व मडरका के बीच पार्वती नदी पर पुल बनाए जाने का आश्वासन देकर चले गए, फिर जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने तालाब के निर्माण के बाद गांव की सुध नहीं ली और ग्रामीणों के बारिश में आने-जाने का कोई इंतजाम नहीं किया है, इस वजह से पूरा गांव बरसात में टापू में तब्दील हो जाता है।

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