आखिर पोहरी में सबकी दिलचस्पी इतनी क्यों....???

राजनीतिक खबर-राजनीति की चर्चा आजकल हर गली,चौराहा और चौपाल पर है । राजनीति का फोबिया इतना है कि छोटा, बड़ा हर किसी की जुबान पर राजनीति की ही चर्चा है । इसे जनता में जागरूकता कहें या फिर राजनीति नाम का रोग ........ख़ैर जो भी हो लेकिन एक बात तो साफ है आज का मतदाता पहले की तुलना में काफी कुछ समझदार और जागरूक हुआ है साथ ही नई पीढ़ी की सहभागिता राजनीति में किसी से छुपी नहीं है ।
राजनीति की चर्चा हो और पोहरी का ज़िक्र न हो ये ग्वालियर- चंबल संभाग में नामुमकिन सा लगता है । यदि पोहरी की राजनीति पर एक नज़र डाली जाए तो दिखाई देता है कि यहाँ अधिकतम प्रतिनिधित्व ब्राह्मण और धाकड़ जाति ने ही किया है फिर चाहे वो किसी भी दल का हो । दूसरा तथ्य जो रोचक है वो ये है कि यहाँ विधायक की गद्दी सिंधिया खानदान की परिक्रमा करने वाले लोगों को ही नसीब हुई है । एक बाकया तो ये भी है कि सिंधिया वंश के मुखिया की उँगली पकड़कर राजनीति करने वाले बगावत कर बैठे और अपना बजूद भी कायम रख सके लेकिन राजनीतिक भविष्य गर्त में दिखाई दे रहा था तो कमल खिलाने की कोशिश की तो हाथी की सवारी भी लेकिन अंत में हाथ थाम ही लिया । एक नेताजी कमल के सहारे एक बार विधायकी का सुख तो भोग लिए लेकिन अपने राजनीतिक गुरू के कमल दल से अलग होने पर कमल से अलग हो गए और गुरू की घर वापिसी के साथ ही घर वापिसी भी कर ली लेकिन एक निर्दलीय से रण में मात ही नहीं खाये बल्कि जमानत भी जब्त करा बैठे ।

जहाँ एक ओर प्रदेश में 15 साल से तो पोहरी में 10 साल से कमल की राजनीतिक फसल लहलहा रही है और कांग्रेस की राजनीतिक फसल राजनीति के खेतों में इतनी मुरझा गई है कि अस्तित्व गायब होने की कगार पर आ गई । लेकिन इस बार प्रदेश और पोहरी दोनों में ही कमल दल के लिए राह आसान नहीं है तो हाथ हाथी और साईकल से विधानसभा भवन पहुंचने की तैयारी में लगा है इसके लिए उनके नाथ से लेकर राजा ,महाराजा पसीना बहा रहे हैं और कमल दल के माथे पर चिंता की लकीरें ऐसी है कि खुद शिव साधना के साथ जमीन से 20 फ़ीट ऊँचे रथ पर सवार होकर जन आशीर्वाद लेने निकल पड़े हैं ।
पोहरी में ऐसा क्या है कि राजनीति का सुख भोगने वाले हर एक कि नज़र पोहरी पर है । कमल दल से मौजूदा विधायक के साथ भूत पूर्व विधायक अपनी दावेदारी जता रहे हैं और इतना ही नहीं एक महिला नेत्री जो करीब एक दशक से समाजसेवा के सहारे लोगों से जुड़ने का प्रयास कर रही हैं तथा मेडिकल कैम्प लगाकर राजनीति की बिसात बिछाने की तैयारी में प्रयासरत हैं । इनको मध्यप्रदेश से केंद्र में बैठने वाले एक कद्दावर मंत्री का आशीर्वाद प्राप्त है, ये राजनीति है यहाँ संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता, यदि कमल दल अपने ही सर्वे और जीत के कम अंतर वालों को बाहर का रास्ता दिखाया जाता है तो इन समाजसेविका के राजनीतिक जीवन में प्रवेश द्वार खुलने की प्रबल संभावना है । इसके अलावा दोनों मुख्य दलों में दावेदारों की एक लंबी सूची है ।
लेकिन आजकल चर्चा ये है कि पोहरी में अपना राजनीतिक भविष्य तलाशने वाले कई अप्रवासियों ने यहाँ आशियाने खोल लिए है जिन्होंने अपने दल और अपने नेता को कठघरे तक ले जाकर किरकिरी करा दी थी । उनका पोहरी में उनका अस्तित्व सिर्फ इतना है कि उनके समाज की बहुलता है ।

हो कुछ भी लेकिन राजनीति के क, ख, ग ....सीखने वालों से लेकर राजनीति के पण्डितों की नज़र और दिलचस्पी पोहरी में अधिक है ।

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