राजनीतिक हकचल पोहरी-कहते है ना हर पुराने चेहरे को नया चेहरा बदलता है लगता है भाजपा भी पोहरी में इसी परंपरा को देखकर आगे बढ़ रही है। भाजपा ने मध्यप्रदेश में चौथी बार की जीत के लिए खराब परफॉर्मेंस वाले विधायकों को बाहर का रास्ता दिखाने का मन बना लिया है ।
वैसे वर्तमान में मौजूदा विधायक भले ही पार्टी के लिए पोहरी का चेहरा है लेकिन अमित शाह के जबलपुर आगमन पर दिए बयान ने संकेत दे दिया कि कम मतों से 2013 में जीत दर्ज करने वालों को पार्टी विश्राम दे सकती है । शिवराज भी चौथी बार के लिए लोगों से आर्शीवाद मांग रहे है। परंतु पार्टी कई मौकों पर साफ कर चुकी है कि चुनाव कमल के निशान पर लड़ा जायेगा, ना कि किसी चेहरे पर। इससे साफ है कि सरकार बनने पर शिवराज की कुर्सी सुरक्षित नहीं। तो पार्टी के सर्वे ने पोहरी में मौजूदा विधायक की कुर्सी को खतरे में बताया है ।
इधर पार्टी को पोहरी के लिए नया चेहरा भी मिल गया है। पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री के अलावा मुख्यमंत्री के आगमन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने वाली और विगत एक दशक से पार्टी के लिए मेहनत करने वाली समाजसेवी महिला डॉ सलोनी सिंह केंद्रीय मंत्री की पसंद बन गईं है। संभावना है कि वे पोहरी विधानसभा सीट से भाजपा के बैनर तले चुनाव भी लड़ सकती है । यदि पोहरी में भाजपा अपना चेहरा बदलती है तो सलोनी सिंह की प्रबल दावेदारी मानी जा रही है इसकी बजह साफ है क्योंकि पोहरी में धाकड़ समाज का मतदाता निर्णायक भूमिका में है ,ऐसे में पार्टी मौजूदा धाकड़ विधायक का टिकिट काटकर किसी अन्य को टिकिट देकर विरोध नहीं चाहेगी और विगत चुनावों पर गौर करें तो यहाँ चुनाव भाजपा वर्सेस काँग्रेस के साथ साथ धाकड़ वर्सेस ब्राह्मण भी होता है और कांग्रेस से हरिवल्लभ शुक्ला को मजबूत दावेदार माना जा रहा है लेकिन खबर तो ये भी है कि कांग्रेस इस बार धाकड़ वर्सेस धाकड़ पर दाँव खेलने पर भी विचार कर रही है ।
सब कुछ ठीक रहा था तो इस बार पोहरी में सलोनी सिंह भाजपा का नया चेहरा हो सकतीं हैं । वहीं नरेंद्र सिंह तोमर जी के चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष बनने से संभावनाओं को बल मिलता दिख रहा है ।