भगवान एवं गुरु दर्पण का रूप, बदलते है जीवन का स्वरूप : मुनि पुंगव सुधा सागर जी महाराज भगवान एवं गुरु दर्पण का रूप, बदलते है जीवन का स्वरूप : मुनि पुंगव सुधा सागर महाराज

देवली-संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी  महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि पुंगव श्री 108 सुधा सागर जी महाराज ससंघ का भव्य मंगल प्रवेश मंगलवार प्रात : 8 बजे जहाजपुर चुंगी नाके से देवली में गाजे-बाजे के साथ हुआ। स्थानीय जैन समाज की महिलाओं द्वारा संचालित जय जिनेन्द्र जयघोष बैंड के साथ चल रहे ससंघ का जगह जगह रंगोली सजाकर स्वागत एवं पाद प्रक्षालन किया। मुनि ससंघ के साथ चल रहे महिला, पुरुष, बच्चे भी ज्ञान के सागर सुधा सागर, त्रिशला नंदन वीर की, जय बोलो महावीर की, एक-दो-तीन व चार जैन धर्म की जय जयकार के नारे लगाकर माहौल धर्ममय बना दिया।
श्री महावीर मंदिर में पहुंचकर भगवान के दर्शन करने के बाद आयोजित धर्मसभा में मुनि पुंगव सुधा सागरजी  महाराज ने कहा कि जब भी मन्दिर जाओ तो भगवान एवं गुरु को दर्पण समझकर जाना ,क्योंकि भगवान एवं गुरु के रूप की अनुभूति ही ऐसी होती है जो पापकर्म से दूर कर पुण्य का संचार जीवन मे जगा देती है । संत शिरोमणि आचार्य विधा सागर जी महाराज की 50 वीं संयम स्वर्ण जयंती महोत्सव के वर्षभर आयोजित समारोह के समापन दिवस पर मुनि पुंगव सुधा सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में आहारचर्या एवं स्वाध्याय के बाद दोपहर को आचार्य श्री की मंदिर में संगीतमय पूजन का अर्घ्य चढ़ाया गया।
आचार्य श्री विधा सागरजी  महाराज की 50 वीं संयम स्वर्ण जयंती महोत्सव के विनयांजलि में मुनि पुंगव सुधा सागर जीमहाराज,निष्कंप सागरजी महाराज,महासागर जीमहाराज, क्षुल्लक गंभीर सागर जीमहाराज,क्षुल्लक धैर्य सागरजी महाराज ने आचार्य श्री के जीवन से जुड़े अनसुने प्रसंग सुनाकर साक्षात भगवान की चर्या का अनुभव समझा दिया।
मुनि पुंगव सुधा सागरजी  ने बताया कि असफलता पर लोग दूसरों को दोष देते है और सफलता मिलने पर अपनी कामयाबी समझने लगा है। यही से अहंकार का भाव करता है और यही पतन का द्वार बन जाता है।उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि शीशी एवं शिष्य के डाट है तब तक वह नियंत्रण रहता है। इसलिए सफलता मिले तो परमात्मा एवं असफलता के लिए आत्मा को जिम्मेदार मानना चाहिए।
रात्रि में आचार्य श्री के स्वर्ण जयंती महोत्सव के समापन पर 8:30 बजे घर घर से लाए गए हजारों दीपों के साथ महाआरती संगीतमय सानंद संपन्न हुई।
मुनि पुंगव श्री सुधा सागरजी महाराज ससंघ श्री महावीर मंदिर में प्रवचन करते हुए।

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