जीवों को बचाने के लिए साधु संत करते हैं चातुर्मास -मुनि श्री आज्ञासागर

अभिषेक जैन परतापुर-बारिश की सीजन में वनस्पति जीवों की उत्पत्ति अधिक होती हैं। इन जीवों को बचाने के लिए साधु संत विहार न कर चातुर्मास करते हैं। संत शहर या गांव में रहकर स्वयं धर्म साधना करते हैं, इसलिए वहां के निवासियों को भी धर्म साधना करने का सौभाग्य मिलता है। यह विचार शनिवार को भीमपुर में चातुर्मासरत मुनि श्री आज्ञासागरजी ने व्यक्त किए। इस साल लोहारिया में आचार्य सुंदरसागरजी, मुनि अनुकंपा सागरजी, आर्यिका शशांकमति माताजी भीमपुर में अभिनंदन सागर जी महाराज ससंघ, आज्ञासागर जी महाराज, बाहुबली कॉलोनी में मुनिश्री  शतार सागरजी महाराज  ससंघ, बागीदौरा में मुनि श्री समता सागर जी  महाराज ससंघ,नौगामा में आर्यिका लक्ष्मीभूषणमति माताजी, नंदौड़ में धर्माचार्य कनकनंदी जी महाराज ससंघ, ऊपरगांव डूंगरपुर में आचार्य श्री समता सागरजी महाराज  ससंघ, महावीर नगर डूंगरपुर में आर्यिका सौभाग्यमति माताजी चातुर्मासरत है।

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