हर संबंध अनमोल समझो और उसे संभालकर रखना सीखो -मुनि श्री प्रमाण सागर

अभिषेक जैन रतलाम-एक दूसरे से हमारे संबंध कांच की तरह होना चाहिए। इसमें पारदर्शिता हो, सच्चाई हो और समादर का भाव हो। कांच आप जैसे हो वैसी ही परछाई बताएगा। टूटा हुआ कांच और छूटे और टूटे हुए संबंध दोबारा जुड़ नहीं सकते है। इसलिए अपने हर संबंध को अनमोल समझो और उसे संभालकर सहेज कर रखना सीखो।
यह बात दिगंबर जैन धर्म प्रभावना चातुर्मास समिति द्वारा लोकेंद्र भवन में आयोजित चातुर्मास में मुनिश्री प्रमाणसागर जी महाराज  ने कही। उन्होंने कहा संबंध तभी प्रगाढ़ होंगे जब उनमें विश्वास होगा। संबंधों में शंका-कुशंकाओं का वास नहीं होना चाहिए, और ना ही बैर और अहम की उत्पत्ति होना चाहिए। हम कांच को संभाल कर रखते हैं मगर यही कांच तब टूट जाता है जब हम इसे धक्का देते है या गिरा देते हैं। इसी तरह संबंधों की भावना हमारे मन से निकले जरा से धक्के से आहत हो जाती हैं या किसी का अनादर कर उसे गिरा देने से संबंध टूट जाते हैं। मुनि श्री ने कहा माता-पिता, पति-पत्नी, सास-बहू, देराणी-जेठाणी, मित्र, पड़ोसी, समाजबंधु आदि जिसके भी साथ हमारे संबंध हो वे एक दूसरे का आदर करना सीखे। जहां तक हो सके उनके मान -सम्मान को ठेस नहीं पहुंचाएं। जिस तरह आप अपने सम्मान की सुरक्षा को महसूस करते हैं उसी तरह दूसरे का मान सुरक्षित रखने में कोई कसर नहीं छोड़े। अगर इस कला को जीवन में अपनाया जाए तो संबंध ताउम्र बने रहेंगे और आप के साथ ही सामने वाला भी आपके और उसके संबंधों को जीवटता प्रदान करेगा।

सहयोग के पीछे संबंध न त्यागो...
मुनिश्री  ने कहा विपत्ति और आपत्ति संसार में हर प्राणी से जुड़ी हुई है। विपत्ति के समय में व्यक्ति अपनों को याद करता है और अगर अपने ही जब छोटे सा सहयोग करने की बजाय संबंध तोड़ लेते हैं तो सामने वाले के दिल पर विपत्ति से भी बड़ा आघात लगता हैै। मुनिश्री ने कहा सहयोग की प्रवृति अपनाने वालों के संबंध कभी खराब नहीं होते, टूटते नहीं हैं।
संस्कार शिविर 14 से

चातुर्मास के दौरान प्रतिवर्ष पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व पर मुनिश्री 108 प्रमाण सागरजी मसा व मुनि विराट सागरजी मसा के सान्निध्य में 14 से 24 सितंबर तक अंबेडकर ग्राउंड में संस्कार शिविर का आयोजन होगा। इसमें 1500 गुरुभक्त दस दिनों तक तप-त्याग-आध्यात्म की आराधना कर धर्म लाभ लेंगे। दिगंबर जैन धर्म प्रभावना समिति के सदस्यों व पदाधिकारियों की बैठक मुनिश्री 108 प्रमाण सागरजी महाराज के सान्निध्य में हुई। इसमें संस्कार शिविर की सभी व्यवस्थाओं की रूपरेखा तय की । बैठक में दिगंबर जैन धर्म प्रभावना समिति के सभी सदस्य व पदाधिकारी उपस्थित थे।
     

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