ऐलोपैथिक अस्पताल में होम्योपैथी चिकित्सक, कैसे हो मरीजो का उपचार

एक साल बाद भी दिनारा अस्पताल में नहीं हो सकी डॉक्टर की पदस्थापना

शिवपुरी/दिनारा. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद पर बीते एक साल से नियमित डॉक्टर न होने से दिनारा क्षेत्र की स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से दम तोड़ चुकी हैं। डॉक्टर न होने से गंभीर मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पा रहा है तो वहीं प्रसव की संख्या भी बहुत कम हो गई है, क्योंकि क्रिटिकल स्थिति में स्टाफ नर्स मरीज को रैफर कर देती हैं। दिनारा से होकर फोरलेन हाइवे गुजरने से क्षेत्र में सडक़ दुर्घटनाओं के केस अधिक आते हैं। लेकिन इन घटनाओं में होने वाले गंभीर घायलों को सिर्फ मरहम पट्टी करने तक का ही उपचार मिल पाता है और जिला अस्पताल रैफर कर दिया जाता है। मजेदार बात तो यह है कि ऐलोपैथिक अस्पताल में एक साल में डॉक्टर की पदस्थापना करने की बजाय होम्योपैथिक डॉक्टर को उसका प्रभारी बनाकर विभाग ने कर्तव्य की इतिश्री कर ली गई है। जानकारी के मुताबिक दिनारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर वर्तमान में सभी स्वास्थ्य सुविधाएं होम्योपैथक चिकित्सक अनामिका खरे के भरोसे है। यहां पदस्थ स्टाफ के मुताबिक दिनारा अस्पताल पर पहले डॉ दीपक वर्मा पदस्थ थे तब ओपीडी की संख्या 200 से अधिक थी लेकिन वर्तमान में यह गिरकर दो दर्जन तक सीमित होकर रह गई है। 

ये गांव परेशान

दिनारा के अलावा आसपास के ग्राम अलगी, आवास, दाबरदेही, अम्बारी, चंदावरा, कूड़, थनरा, सेमरा, कड़ोरा, उटवाहा, खिरिया, पुनवाली, दबरा, सहरया, डामरौनकला, डामरौनखुर्द, सलैया, चसीजा, खिरिया जागीर, ढाड़, कुचलौंन, छितीपुर, बैसोरा सहित अन्य कई गांव शामिल हैं। 
सबसे ज्यादा परेशानी एमएलसी व पीएम कराने में
दिनारा अस्पताल पर एक साल बाद भी डॉक्टर पदस्थ न होने से सबसे ज्यादा परेशानी पुलिस को एमएलसी कराने तथा पोस्टमार्टम कराने में आ रही है। दिनारा क्षेत्र अंतर्गत आधा सैकड़ा से अधिक गांव हैं तथा फोरलेन हाइवे होने की वजह से दुर्घटना व झगड़ों के मामले में एमएलसी कराना पड़ती है। ऐसी स्थिति में पुलिस को करीब 25 किमी का सफर तय कर करैरा जाना पड़ता है। वहीं डॉक्टर न होने की वजह से पोस्टमार्टम हाउस का उपयोग न होने से यह खंडहर में तब्दील हो चुका है। दिनारा अस्पताल पर एंबुलेंस की सुविधा नहीं है और न ही क्षेत्र में 108 एंबुलेंस है, जिससे गंभीर मरीजों को करैरा जाने में परेशानी आ रही है।

दिनारा स्वास्थ्य केंद्र पर करीब आधा सैकड़ा गांवों के लोग निर्भर हैं। ऐसे में यहां नियमित डॉक्टर का होना बेहद जरूरी है। इस पर प्रशासन को शीघ्र ध्यान देना चाहिए।

सतीश फौजी, पूर्व जिपं सदस्य

स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने मुझे ही दिनारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का प्रभार दिया है। चूंकि मैं होम्योपैथिक हूं इसलिए मैं छोटी मोटी बीमारी वाले मरीजों को दवा देकर संतुष्ट कर देती हूं। लेकिन यदि कोई गंभीर बीमारी वाला मरीज आता है तो उसे करैरा रैफर करना पड़ता है। 

अनामिका खरे, प्रभारी अधिकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दिनारा

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