अभिषेक जैन आवां-श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र 'सुदर्शनोदय' तीर्थ आवां में चल रहे चातुर्मास में मुनि श्री सुधा सागर जी महाराज ने मंगल प्रवचनों में कहा कि कमजोर व्यक्ति से दुश्मनी ज्यादा खतरनाक होती है क्योंकि वह उस समय वार करता है जब हम कल्पना ही नहीं कर सकते। वो छोटा होने के कारण आप की बराबरी तो नहीं कर पाएगा, लेकिन आपकी दुश्मनी प्रताड़ना से उसके मन के भीतर जो ज्वाला उत्पन्न होगी, वो किसी ना किसी रुप में आपको जला देगी| वहीं मां से भी कभी बेर नहीं रखना चाहिए। जब वो मां के रुप में स्त्री प्रकट होगी तो वो भी आपका विनाश का कारण बन जाएगी|
मुनि श्री ने प्रवचन में कहा कि जो व्यक्ति शक्ति न होने पर मन में हार नहीं मानता उसे संसार की कोई भी ताकत परास्त नहीं कर सकती। यह एक कड़वी सच्चाई है कि प्रत्येक मित्रता के पीछे स्वार्थ छुपा होता है। ज्ञान सबसे उत्तम मित्र है। शिक्षित व्यक्ति को प्रत्येक जगह सम्मान मिलता है। ज्ञान ही एक ऐसा शस्त्र है जो सुंदरता ओर यौवन को पराजित कर देता है। कोई भी व्यक्ति शक्तिहीन नहीं होता है लेकिन उसे अपनी कमजोरी का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए, वरना लोग अक्सर झुकाने का सोचते है। नकारात्मकता जीवन को नाकारा बना देती हैं। इसलिए हमेशा अपने आचार-विचार को सकारात्मक रखो, व्यवहार में नर्मी रखो और सहयोगी बनो। यह ही सफल जीवन की मूल मंत्र है।
भगवान महावीर जैसे संयमी बनकर खुद को पहचानो
मन की शक्ति को जो समझ लेते हैं वह एक दिन मानव से महामानव बनकर भगवान जैसे बन जाते हैं। यदि आप कर्मों की बेड़ियों से छुटकारा पाना चाहते हैं तो भगवान महावीर जैसे संयमी बनकर स्वयं को पहचानना होगा। मन और इन्द्रियों को वश में करने की साधना जो साधक करना प्रारंभ कर देते हैं वह भोगी नहीं योगी कहलाते हैं। संतुलित जीवन ही सुखी जीवन है। खानपान वाणी का संयम, चलने फिरने का संयम अपने जीवन में जो लोग करते हैं वह एक दिन इंसान से भगवान बन जाते हैं। मन और इन्द्रियों को वश में करने की साधना जो साधक करना प्रारंभ कर देते हैं वह भोगी नहीं योगी कहलाते हैं। संतुलित जीवन ही सुखी जीवन है। असंतुलित जीवन दुखी जीवन है। खानपान वाणी का संयम, चलने फिरने का संयम अपने जीवन में जो लोग करते हैं वह एक दिन इंसान से भगवान बन जाते हैं।
कमजोर व्यक्ति से दुश्मनी ज्यादा खतरनाक होती है -मुनि श्री सुधा सागर
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Tuesday, August 07, 2018
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