मोक्ष मार्ग में आगे बढ़ना है तो मात्र जिज्ञासा रखें, प्रश्न अथवा शंका नहीं-मुनि श्री सुव्रतसागर

अभिषेक जैन सागर-अंकुर कालोनी दिगंबर जैन मंदिर मकरोनिया में चातुर्मास कर रहे आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री सुव्रतसागरजी महाराज  ने मंगलवार को मानव जीवन के लक्ष्य और संस्कार पर केंद्रित उपदेश में कहा की मोक्ष मार्ग में आगे बढ़ना है तो मात्र जिज्ञासा रखे प्रश्न अथवा शंका नहीं, श्री धबला एवं मूलाचार ग्रंथों की गाथा का उल्लेख करते हुए कहा की हमें प्रत्येक क्रिया को यत्न पूर्वक करना चाहिए।
लक्ष्य निर्धारण पर बोलते हुए कहा की बचपन में लक्ष्य बना नहीं पाते, जवानी में विषय भोग में लगे रहे और आगे के जीवन के लक्ष्य बनाने का निर्णय नही ले पाए और इसी तरह सम्पूर्ण जीवन ऐसे ही व्यतीत कर दिया। यह विषय चिंतनीय है कि हमने अपना कोई लक्ष्य नहीं बनाया। ''आद हिदम का दब्वम'' सूक्ति की व्याख्या करते हुए कहा की जब हम नर्क में थे, दुर्गति में थे, जब संकल्प लिया था कि आत्मा का कल्याण करेंगे लेकिन मानव योनि पाकर हमने अपने लक्ष्य को छोड़ दिया, परमात्मा को भूल गए, हमें अपनी आत्मा का कल्याण करना चाहिए। आत्मा का लक्ष्य हो और अनुष्ठान परमात्मा का होना चाहिए जब तक लक्ष्य नहीं बनाओगे तब तक इच्छित कार्य सार्थक नहीं होगा। जो एक बार परमात्मा का दर्शन कर लेगा, वह आगे चलकर स्वयं दर्शनीय बनकर मोक्ष मार्ग पर बढ़ जाएगा। प्रवचन के दौरान सैकड़ों की संख्या में श्रोतागण उपस्थित थे।
  

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