अभिषेक जैन कोटा- ध्यान से शुभ व अशुभ दोनों का ज्ञान होता है। आत्मा के पोषण के लिए लौकिक कार्यों के साथ साथ पारलौकिक कार्यों का निष्पादन भी करना पड़ता है। मोक्ष मंजिल की पात्रता तभी होती है जब हम धर्म से विमुक्त न हो। यह बातें आर्यिका विज्ञमति माताजी ने शनिवार को सुबह दिगंबर जैन मंदिर तलवंडी में विशुद्धमति माता के सानिध्य में चल रहे गणधर वलय स्त्रोत पर आयोजित सेमिनार के दौरान कही। उन्होंने कहा कि संसार में कर्म दो प्रकार के होते हैं शुभ व अशुभ। भगवान के दर्शन व पूजा स्तुति करते हैं तो हमारे अशुभ कार्यों की निर्जरा होती है और शुभ कर्म उत्पन्न होते हैं। भगवान का दर्शन पाप का नाश करने वाला तथा परम्परा से मोक्ष देने वाला होता है। हिंसा झूठ चोरी, कुशील परिग्रह ये सब पाप अशुभ कर्म उत्पन्न करने वाला होता है। इसलिए हम ऐसी राह पर चलें जिससे हम शुभ कर्म में परिवर्तित हों।
संकलन अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी
ध्यान से होता है शुभ व अशुभ का ज्ञान' विज्ञमति जी
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Sunday, August 05, 2018
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