चार महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में इस बार स्थानीय मुद्दे नहीं बल्कि राष्ट्रीय मुद्दों चुनावी हथियार बनाने की कोशिश है। बीजेपी और कांग्रेस ने आगामी चुनाव को लेकर राष्ट्रीयता से जुड़े मुद्दों पर एक दूसरे पर हमले करना तेज कर दिया है। जो आने वाले दिनों में दोनों दलों के बीच एक दूसरे को घेरने का काम करेंगे।
विधानसभा क्षेत्र में होने वाले विकास और प्रत्याशी की छवि से ज्यादा इस बार राष्ट्रीय मुद्दे चुनाव में हावी होंगे। हर बार विधान सभा चुनाव में सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य सेवाएं, इंफ्रास्ट्रक्चर डेव्हलपमेंट जैसे मुद्दे राजनैतिक दलों के चुनावी हथियार होते हैं. लेकिन पहले 2018 और फिर 2019 के चुनाव को लेकर ताल ठोंक चुके बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने एमपी सहित चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों को पेश कर एक दूसरे पर हमले की तैयारी कर ली है।
राहुल गांधी की अध्यक्षता में हाल में हुई कार्यसमिति की बैठक में साफ कर दिया गया है कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ नेशनल इश्यू को चुनावी मुद्दा बनाया जाए. फिलहाल सबसे बड़ा मुद्दा राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का होगा. इस मुद्दे पर कांग्रेस आक्रामक होगी. 2005 से 2013 के बीच 82,728 विदेशी नागरिकों को वापस भेजा गया, जबकि एनडीए सरकार कार्यकाल में सिर्फ 1822 को वापस भेजा गया. पार्टी एनआरसी के गलत इस्तेमाल की जानकारी जनता को देगी.राफेल लड़ाकू विमान ख़रीद में गड़बड़ी भी बतायी जाएगी. बैंक घोटाले, किसानों की समस्याएं और बेरोज़गारी जैसे मुद्दों पर देशव्यापी जनआंदोलन होंगे।
वहीं चुनाव से पहले कांग्रेस की रणनीति भांप बीजेपी ने भी अब राष्ट्रीय मुद्दों को हवा देना शुरू कर दिया है. पार्टी ने तय किया है कि विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों के ज़रिए कांग्रेस को घेरा जाएगा. एनआरसी के मुद्दे को संसद के बाद अब सड़कों पर उठाया जाएगा. हिंदी पट्टी में इस मुद्दे के जरिए वोट जुटाने की कोशिश होगी. दलित-पिछड़ों के वोट साधे रखने पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का बखान किया जाएगा।
बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह संसद से लेकर सड़क तक हर जगह इस मुद्दे को उठाने भी लगे हैं.
पार्टी 18-19 अगस्त को होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अपनी रणनीति का खुलासा करेगी.
प्रदेश और देश में उठ रही चुनावी लहरों पर सवार होकर सियासी फायदा लेने की होड़ तेज हो गई है. अभी तक स्थानीय मुद्दों पर हमला बोल रहे बीजेपी और कांग्रेस नेताओं के सुर अब बदलने लगे हैं. यही कारण है कि अब विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों की एंट्री से माहौल और गर्म हो गया है.