अभिषेक जैन नौगामा-कस्बे में चातुर्मास रत आर्यिका लक्ष्मीभूषणमती माताजी ने क्रोध विषय पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि क्रोध से जीवन में अवरोध पैदा होता है। व्यक्ति के मन मेंं बेकाबू होते क्रोध पर नियंत्रण नहीं किया गया तो विनाश हो जाएगा। इसके लिए आचार्य कुंद-कुंद ने बताया है कि विवेक, स्वाध्याय व आत्मबोध के जरिए क्रोध पर काबू पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य परायों से ज्यादा अपनों से परेशान रहते है। मानव में भगवान बनने की शक्ति हैं वहीं नरक में जाने की क्षमता भी हैं । व्यक्ति में विनाश व विध्वंस करने की शक्ति होती है। इसलिए धार्मिक विचारों, सद्गुणों व संस्कारों से सदैव सकारात्मक मार्ग चुनने का विवेक होना चाहिए। वाग्वर सम्मेद शिखर नसियाजी में शांतिविधान का आयोजन किया गया । विधान में पंडित रमेश चंद्र गांधी व रिंपी दीदी के निर्देशन में मंत्रों के साथ विधान किया गया। विधान में आर्यिका माताजी ने 24 तीर्थंकरों के नाम व चिन्हों संबंधी जानकारी दी । आर्यिका माताजी व श्रद्धालुओं ने 24 टोकों की वंदना भी की। बाद में सांयकालीन आरती के बाद रिंपी दीदी द्वारा छह ढाला की कक्षा का शुभारंभ किया गया।
क्रोध पर काबू पाकर आत्मकल्याण करने की नसीहत- लक्ष्मीभूषण माताजी
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Monday, August 06, 2018
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