राजनीतिक हलचल-विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही जहाँ एक ओर जुबानी हमले तेज हो गए हैं तो कोई किसी पर पत्थर और चप्पल फेंक रहा है वहीं दूसरी ओर जान से मारने की धमकी भी दी जा रही हैं । सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने के लिए कुछ भी कर गुजरने और किसी भी हद तक मर्यादा का उल्लंघन करने के लिए उताबले हैं ।
सरकार और प्रदेश के मुखिया विकास के लिए अपनी पीठ थपथपा कर नहीं अघा रहे हैं लेकिन ये जगजाहिर है कि प्रदेश ने मध्यप्रदेश के माथे पर यदि गहरा कलंक लगाया है तो व्यापमं ने लाखों छात्रों के भविष्य को बेचकर लगाया है । विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी कर रही है और पूरी दमदारी से आगामी विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाली है । लेकिन व्यापमं काण्ड को सरकार भूलना चाहती है यही कारण है कि सत्ता दल और सरकार दोनों ही एक बार फिर व्यापमं में लिप्त लोगों को तवज्जों दे रही है ।
पोहरी में वर्तमान में व्यापमं के एक पूर्व आरोपी का नाम चर्चा में है । सवाल यह है कि वे भाजपा से प्रबल दावेदार की सूची में एक अखबार ने प्रकाशित किया था, तो क्या सत्तापक्ष ने व्यापमं में जो कुछ हुआ उसे भुला दिया है और यदि सरकार ने भुला दिया है तो क्या आने वाले चुनाव में जनता भी व्यापमं के जख्मों को भूल चुकी है ।