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हरियाली की चादर के बीच प्राकुतिक झरना |
सचिन मोदी खनियांधाना -खनियांधाना से मात्र 15 किमी दूरी पर सिद्ध स्थान पनारियानाथ बेहद ही प्राकृतिक सुंदर स्थान है जहाँ धार्मिक दृष्टि से यहाँ शंकर भगवान का अत्यंत प्राचीन मंदिर है वहीँ ऊपर से गिरता हुआ झरना बेहद यहाँ आये लोगों की रोमांचित करता है लेकिन शासन-प्रशासन द्वारा यहाँ पर किसी भी प्रकार की सुविधाएं मुहैया नहीं कराए जाने से ये उपेक्षित है ।
चारों तरफ हरियाली की चादर ओढ़े चारों तरफ पहाड़ बीच बीच में से ऊपर से गिरता झरना और शंकर जी का विशाल मंदिर प्रकृति के मनोरम दृश्य इस बारिश में और भी सुंदर हो गया है यहां पर आए सेलानी तो इस झरने की तुलना मसूरी के केंपटी फॉल से करते हैं जहां लोग हजारों रुपए खर्च करके जाते हैं और यह प्राकृतिक नजारा अपने बिल्कुल समीप में स्थित है जिसको यदि प्रशासन थोड़ा ध्यान दें तो और भी सुंदर हो सकता है
चारों तरफ हरियाली की चादर ओढ़े चारों तरफ पहाड़ बीच बीच में से ऊपर से गिरता झरना और शंकर जी का विशाल मंदिर प्रकृति के मनोरम दृश्य इस बारिश में और भी सुंदर हो गया है यहां पर आए सेलानी तो इस झरने की तुलना मसूरी के केंपटी फॉल से करते हैं जहां लोग हजारों रुपए खर्च करके जाते हैं और यह प्राकृतिक नजारा अपने बिल्कुल समीप में स्थित है जिसको यदि प्रशासन थोड़ा ध्यान दें तो और भी सुंदर हो सकता है
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महादेव का प्राचीन मंदिर |
पनरियानाथ क्षेत्र को विकसित करने के लिए सर्वप्रथम यहां पर पहुंचने का रास्ता सुधार होना अत्यंत आवश्यक है खनियाधाना से मायापुर रोड पर ग्राम बादली के समीप से करीब 2 किलोमीटर का यह मार्ग बिल्कुल कच्चा है लेकिन फिर भी वर्तमान में यहां पर मोटरसाइकिल तथा चार पहिया वाहन आसानी से पहुंच जाते हैं
इसके अलावा यहां पर बिजली के खंबे तो कर चुके हैं लेकिन तार नहीं बिजी है जिससे यहां पर बिजली की कमी से रात्रि में जंगल होने के कारण घनघोर अंधेरा छा जाता है
झरने के नीचे बड़े-बड़े पत्थर भी पड़े हैं तथा पानी में उतरने पर यह पत्थर सैलानियों को चोट भी पहुंचा देते हैं यदि यह व्यवस्थित हो जाएं और झरने के चारों तरफ रेलिंग लग जाए और सैलानियों को बैठने उठने की व्यवस्था हो जाए तो यह क्षेत्र मध्य प्रदेश पर्यटन के लिए बहुत ही मनमोहक जगह बन सकता है (मिनी मसूरी का दर्जा भी दे तो कोई गलत नही होगा) पर बरसों से ऐसे ही पड़ा है
कई बार यहां के महंत ने तथा ग्राम के लोगों ने शासन प्रशासन से इस क्षेत्र को विकसित करने की मांग की है लेकिन कई बार प्रशासनिक अधिकारी , राजनेता भी गोठ मनाने के बहाने यहां पर आए हैं लेकिन उन्होंने इसकी सुध नहीं ली ।
इसके अलावा यहां पर बिजली के खंबे तो कर चुके हैं लेकिन तार नहीं बिजी है जिससे यहां पर बिजली की कमी से रात्रि में जंगल होने के कारण घनघोर अंधेरा छा जाता है
झरने के नीचे बड़े-बड़े पत्थर भी पड़े हैं तथा पानी में उतरने पर यह पत्थर सैलानियों को चोट भी पहुंचा देते हैं यदि यह व्यवस्थित हो जाएं और झरने के चारों तरफ रेलिंग लग जाए और सैलानियों को बैठने उठने की व्यवस्था हो जाए तो यह क्षेत्र मध्य प्रदेश पर्यटन के लिए बहुत ही मनमोहक जगह बन सकता है (मिनी मसूरी का दर्जा भी दे तो कोई गलत नही होगा) पर बरसों से ऐसे ही पड़ा है
कई बार यहां के महंत ने तथा ग्राम के लोगों ने शासन प्रशासन से इस क्षेत्र को विकसित करने की मांग की है लेकिन कई बार प्रशासनिक अधिकारी , राजनेता भी गोठ मनाने के बहाने यहां पर आए हैं लेकिन उन्होंने इसकी सुध नहीं ली ।

