जीवन उन्नत बनाने के लिए एक गुरू होना आवश्यक: मुनि श्री निर्वेग सागर जी

अभिषेक जैन आष्टा -लोग कहते हैं कि भाग्य के कारण यह हुआ है, लेकिन हमारा कहना है कि भाग्य के साथ निमित्त भी जुड़ता है। व्यक्ति को अपना जीवन उन्नत बनाना है तो वह अपने जीवन में एक गुरू अवश्य बनाएं। गुरु बनाते समय यह भी जांच परख लें कि वह सही गुरु है या नहीं। ताकि वह आपका जीवन सही मार्ग पर ले जाने के लिए प्रेरित करें। यह बातें पाश्र्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर किला पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज द्वारा रचित मूक माटी ग्रंथ के समापन अवसर पर मुनि निर्वेग सागर महाराज ने कहीं।
मुनिश्री ने कहा कि इस मूक माटी ग्रंथ पर 45 लोगों ने पीएचडी की है। कई भाषाओं में इसका प्रकाशन भी हुआ है। सत्य का आचरण करने वाले व्यभिचारी के पीछे होते जा रहे हैं। फिल्मी कलाकारों की देखा देखी आज के समय में हमारी बेटियां कर रही हैं, जो उचित नहीं है। भीड़ के कहने पर असत्य सत्य नहीं हो सकता है।
पुण्यशाली व्यक्ति का देवता भी कुछ नहीं बिगाड़ सकते: मुनि श्री  ने कहा कि देवता मंत्र के वश में रहते हैं। मंत्र पढ़ते ही वह सेवा में हाजिर हो जाते हैं। पुण्यशाली व्यक्ति का देवता भी कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं। मुनिश्री ने कहा कि जिनेंद्र भगवान की भक्ति में मन लगाओ सभी देवी देवता स्वत: ही आपके आस पास रहेंगे। एक साधे सब सधे वाली कहावत चरितार्थ होगी। वीतराग की आराधना जैन दर्शन में बताई गई है।
मां की परीक्षा मत करो, अपराधी मत बनो
मुनिश्री ने कहा कि मां की परीक्षा मत करो, अपराधी मत बनो, दूसरे पर आश्रित होने का जीवन मत बनाओ। किसी ने थोड़ा भी उपकार किया है तो उसके उपकार को कभी मत भूलो। भाग्य के साथ निमित्त भी होता है। जीवन को उन्नत बनाना है तो अपने जीवन में एक अच्छे गुरु को अवश्य लाएं और वह गुरु जांच परख कर बनाएं।
   

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