लत आपने ही तो लगाई, पहले आपको सुधरना होगा-मुनि श्री प्रमाण सागर जी

अभिषेक जैन रतलाम-लोकेंद्र भवन के सामने स्थित आंबेडकर ग्राउंड में शनिवार को शंका समाधान कार्यक्रम हुआ। मुनिश्री 108 प्रमाणसागरजी महाराज से मैनेजमेंट गुरु एन. रघुरामन ने अपने व आमजन से जुड़े प्रश्न पूछे। मुनिश्री ने सभी प्रश्नों का बड़ी सहजता से जवाब दिया। उनकी यह चर्चा सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन मौजूद थे। प्रभावी प्रश्नों और उसके सटीक जवाब के बीच दोनों की चर्चा कुछ ऐसी रही...

मैनेजमेंट गुरु एन. रघुरामन ने आमजन से जुड़ी शंकाओं को समाधान के लिए मुनिश्री प्रमाण सागरजी के समक्ष रखा
रघुरामन
- हमारे जीवन में शांति के बीच अवरोध क्या है?
मुनिश्री-  अहंकार...। विश्लेषण में पाएंगे हम अहंकार के कारण दु:खी हैं। हमारे साथ कुछ चीजें जुड़ती हैं इन्होंने ही हमें असहज बना दिया। आप अभी सहज हैं क्योंकि आपको लगता है मैं गुरु के पास आया हूं। यही भाव हमेशा रहना चाहिए।
रघुरामन - शांति व क्रोध साथ रह सकते हैं?
मुनिश्री- नहीं रह सकते। अगर शांति रखोगे तो क्रोध कभी नहीं आएगा।
रघुरामन-
गलती का अहसास करने केे बाद संशोधन कैसे करें?
मुनिश्री-
प्रतिक्रमण व प्रत्याख्यान...। गलती पर हृदय से क्षमा मांगो, प्रभु से क्षमा मांगो। भविष्य में कभी गलतियां ना दोहराने का संकल्प लो।
रघुरामन-
गलती जब आदत बन जाती है तो छुटकारा कैसे पाएं?
मुनिश्री-
आदत दूर हो सकती है जब मन में संकल्प व आत्मविश्वास हो। संकल्प में इतनी शक्ति है कि हम बुरी से बुरी आदत छोड़ सकते हैं।
रघुरामन-
बिजनेसमैन की व्यथा है... मेहनत ज्यादा, मुनाफा कम। बिजनेस, परिवार, समाज में समन्वय कैसे बनाएं?
मुनिश्री-
प्राथमिकताएं स्पष्ट होना चाहिए। हम जीवन के लिए बिजनेस कर रहे हैं या बिजनेस के लिए जीवन। व्यापार को प्राथमिकता देना चाहिए लेकिन जीवन के बाद। जीवन व स्वास्थ्य दांव पर लगाकर व्यापार करना गलत है। धन की एक सीमा से ज्यादा उपयोगिता नहीं। प्राथमिकता में समाज भी होना चाहिए।
रघुरामन-
खुद का लक्ष्य बनाने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?
मुनिश्री-
पहले हम खुद को देखें कि हमारी योग्यता क्या है? हमें देखना चाहिए लक्ष्य कहां है? अपनी जमीनी हकीकत को समझें। हवाई उड़ान भरने वालों को कोई लाभ नहीं मिलता। सभी आईआईटी, आईआईएम के पीछे पड़े हैं लेकिन यह नहीं पता करते, क्यों? इस प्रवृत्ति से बचना चाहिए।
रघुरामन-
स्कूल का चयन कैसे करें, टीचर्स का रोल कैसा होना चाहिए?
मुनिश्री
- आज लोगों की फोटो बहुत सुंदर आती है लेकिन एक्स-रे खराब। स्कूल आज स्टेटस सिंबॉल हैं। स्कूल का रिजल्ट, एक्टिविटी व संस्कार देखना चाहिए। शिक्षक वह है जो सीख दे। शिक्षा का व्यवसायीकरण हो गया है। यह अवधारणा बदलने की जरूरत है। रैंक की अवधारणा बदलना चाहिए।
रघुरामन-
सरल कैसे बनें?
मुनिश्री-
अपना अहंकार छोड़ दो।, ईगो हटा दिया तो आप सरल हैं। ईगो हमें कुटिल बनाता है। इसे खत्म कर दो।
रघुरामन-
जीवन शैली में क्या बदलाव लाएं जो मानसिक तनाव को कम करे?
मुनिश्री-
तनाव से बचने के लिए चार बातें ध्यान में रखें। आध्यात्म को जीवन में प्रतिष्ठित करें, इससे सकारात्मकता आएगी। आहार-विहार पर संयम रखें, दिनचर्या नियमित रखें।
रघुरामन
- खाली दिमाग किसका घर?
मुनिश्री-
दो बातें हैं, खाली दिमाग व खुला दिमाग। जिसकी अपनी सोच नहीं, वह खतरनाक है। ऐसे लोग दूसरों की बातों में जल्दी आ जाते हैं। खुला दिमाग हो तो व्यक्ति सोच-समझ कर काम करता है। खुले दिमाग से रहें।
रघुरामन- आज मोबाइल का उपयोग जरूरत से ज्यादा है। मां को कोई काम करना है तो वह बच्चे को व्यस्त रखने के लिए मोबाइल दे देती है। कैसे समझाएं- मोबाइल खतरनाक है?
मुनिश्री- यह जटिल समस्या है। बच्चा मोबाइल चलाना मां के पेट से सीख रहा है। आपने ही बच्चे को इसकी लत लगाई। पहले आपको सुधरना होगा। आप मोबाइल से दूरी बनाएं। हमें सुनिश्चित करना है कि मोबाइल जीवन की जरूरत है, अंग नहीं। जब तक कोई चीज नियंत्रण में रहे वह सुविधा है, नियंत्रण के बाहर हो जाए तो दुविधा। आप अपनी भावी पीढ़ी के साथ अपराध कर रहे हैं। उनके भविष्य से खेल रहे हैं। संकल्प लें कि मोबाइल का संयमित उपयोग करेंगे।
रघुरामन-
आपको मोबाइल, फेसबुक, ट्विटर, सभी के बारे में इतना कैसे पता?
मुनिश्री (मुस्कुराते हुए)
- मेरे पास जो लोग आते हैं वे सभी टेक्नोलॉजी का प्रयोग करते हैं। मैं उनसे अपडेट रहता हूं। पहले किताबों से पढ़ता था, अब लोगों को पढ़ने लगा हूं। उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
रघुरामन- किसी को माफ कैसे करें?
मुनिश्री-
माफी मांगना, माफी देना व माफ करना अलग-अलग है। व्यक्ति संवेदनशील हो, सकारात्मक सोचना शुरू कर दे तो उसे माफ कर दें।
प्रमाण सागरजी : लत आपने ही तो लगाई, पहले आपको सुधरना होगा
      

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