ग्वालियर- 2018 की विधानसभा चुनाव में हर सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है, हाथ,हाथी और कमल दल ने एक से बढ़कर एक शूरवीरों को मैदान में विजय के किले को भेदने के लिए भेज दिया है । ग्वालियर जिले की भितरवार विधानसभा सीट पर इस बार बड़ा ही रोचक मुकाबला होने जा रहा है । इस सीट पर कांग्रेस ने अपने दी-तीन बार के विधायक लाखन सिंह यादव पर ही पुनः भरोसा जताया है,हालांकि इस सीट से ग्वालियर ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष मोहन सिंह राठौर भी प्रबल दावेदारी जता रहे थे तो उनकी ओर से भितरघात होने की भी आशंका है । लाखन सिंह यादव ,किरार समाज से आते हैं और इस विधानसभा में किरार मतदाता एक अच्छी संख्या में है लेकिन इस बार किरार मौजूदा विधायक से नाराज बताए जा रहे हैं, इसके संकेत लाखन सिंह के भतीजे युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव संजय सिंह यादव को जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में हराकर दे दिया था ।
दूसरी तरफ लाखन सिंह के खिलाफ भाजपा ने पूर्व मंत्री और मुरैना सांसद अनूप मिश्रा को मैदान में उतारा है । अनूप मिश्रा 2013 के विधानसभा चुनाव में लाखन सिंह से बुरी तरह से परास्त हो चुके हैं । विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक अनूप यहाँ से चुनाव न लड़कर ग्वालियर शहर की किसी और सीट से चुनाव की इक्षा जाहिर कर चुके थे लेकिन अपनी ही पार्टी में हासिए पर चल रहे अनूप मिश्रा को भितरवार में भेजकर एक बार फिर बलि का बकरा बनाने की कोशिश की गई है।
इन सभी नहलों पे दहला चलने का काम बसपा ने बीनू पटेल को प्रत्याशी बनाकर किया है । बीनू पटेल (किरार) क्षेत्रीय होने के साथ ही भितरवार नगर पंचायत के अध्यक्ष रहे हैं और किरार समाज में अपनी अलग ही लोकप्रियता हासिल है । अनूप को तो पहले ही भितरवार की जनता नकार चुकी है और किरार समाज से ताल्लुक रखने के कारण लाखन सिंह के वोट बैंक में सेंध लगाने का काम बीनू पटेल कर सकते हैं । राजनीतिक गणित को समझने वालों के मुताबिक इस बार सर्वहारा वर्ग के नेता के रूप में बीनू पटेल हाथ और कमल दोनों से ही आगे हाथी पर सवार होकर आगे बढ़ रहे हैं । हाथी के प्रति इस क्षेत्र के मतदाताओं की कितनी चाहत है इस बात का अनुमान तो इसी बात से लगाया जा सकता है कि हाथी ने इससे पहले भी विधायक रहे हैं, खुद लाखन सिंह की राजनीतिक पारी की शुरुआत हाथी से ही हुई है । अभी तक के आंकड़ों पर गौर करें तो भितरवार से इस बार हाथी के भोपाल पहुंचने की पूरी उम्मीद है ।