अभिषेक जैन भोपाल -वर्तमान और भविष्य के अलावा एक और काल होता है जिसे आपातकाल कहते हैं। आपत्ति किसी पर भी आ सकती हैं। सांसारिक जीवन में सब कुछ अच्छा होते हुए एकदम विपरीत परिस्थितियों से इंसान का सामना हो जाता है। इसे आपातकाल कहते हैं और यह किसी भी समय, किसी के भी जीवन में आ सकता है। इसलिए हमेशा व्यक्ति को ऐसे आपातकाल के लिए तैयार रहना चाहिए। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए जरूरी है कि जीवन की अपनी एक आचार संहिता होती है, उसका उल्लंघन न करते हुए पुरुषार्थ के पथ पर चलते रहना चाहिए। यह विचार मुनिश्री विद्या सागर जी महाराज ने शहर के समीपस्थ समसगढ़ तीर्थ में व्यक्त किए। वे यहां सोमवार को आयोजित धर्मसभा में प्रवचन दे रहे थे।
मुनिश्री ने कहा कि लोकतंत्र में चुनाव 5 वर्ष में एक बार होते हैं लेकिन कभी-कभी चुनाव कुछ समय बाद मध्यावधि में कराने की नौबत आ जाती है। यह स्थिति भी आपातकाल जैसी होती है। अर्थात किसी भी परिस्थितियों में पुरुषार्थ की आचार संहिता को न भूलें। जीवन की आचार संहिंता में धेर्य, अनुशासन व संयम भी शामिल हैं
विपरीत परिस्थितियों मे आचार संहिता न भूले -मुनि श्री विद्या सागर जी महाराज
0
Tuesday, November 27, 2018
Tags