राजनीतिक हलचल-मतदान दिनांक की उल्टी गिनती शुरू हो गई है, प्रत्याशियों के लिए एक एक मिनट कम लग रहा है । कहीं अपने प्रतिद्वंद्वी से चुनौती मिल रही है तो कहीं अपने ही साथी जो अब बागी बनकर मुश्किल खड़ी कर रहे हैं । पार्टी कई जगह तो डैमेज कंट्रोल करने में कामयाब हो गई है लेकिन कई जगह अब भी मुश्किल में है ।
शिवपुरी जिले की चर्चित विधानसभा सीट पोहरी में भाजपा की ओर से टिकिट के दावेदारों की एक लंबी फेरिहस्त थी लेकिन पार्टी ने दो बार के विधायक पर ही भरोसा जताया है । इस बार भाजपा के मौजूदा विधायक के लिए मुसीबत कांग्रेस ने धाकड़ प्रत्याशी बनाकर और भी बढ़ा दी है । निर्णायक भूमिका में रहने वाला धाकड़ समुदाय का वोट बैंक अब बंट गया है तो निगाहें अन्य समाज के वोट बैंक पर आ टिकी । पोहरी का इतिहास रहा है कि यहाँ मुकाबला धाकड़ और ब्राह्मण उम्मीदवार के बीच ही हुआ है और इनमें से ही एक चुनकर विधानसभा पहुंचा लेकिन इस बार दोनों तरफ धाकड़ प्रत्याशी होने के कारण ब्राह्मण समाज की ओर से जो दावेदार थे उनको साथ में रखना एक चुनौती थी जो दोनों ही दलों के लिए थी ।
बात भाजपा की करें तो यहाँ मौजूदा विधायक को छोड़कर करीब आधा दर्जन टिकिट के दावेदार थे जिनमें से एक तो प्रत्याशी के साथ क्षेत्र में दिखाई दे रहे हैं और एक ने निर्दलीय पर्चा दाखिल कर दिया था लेकिन सूत्रों के मुताबिक अब वो भी नामांकन वापिस लेकर किस प्रत्याशी का साथ देगे यहां देखना होगा। लेकिन बात यहाँ आकर अटक जाती है कि अन्य दावेदार कहाँ है वे न तो क्षेत्र में दिखाई दे रहे हैं और न ही प्रत्याशी के साथ, ऐसे में सवाल ये भी है कि इनकी जरूरत प्रत्याशी को नहीं है या ये प्रत्याशी के साथ आना नहीं चाहते हैं और यदि प्रत्याशी अति आत्मविश्वास में है कि वे इनके बिना भी वैतरणी पार कर सकते हैं तो इनकी ओर से भितरघात की भी आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि ज्यादा न सही लेकिन अपने अपने जातिगत वोट बैंक में सेंध लगा किसी ओर की राह आसान कर सकते हैं ।
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में पंडित जी के निर्दलीय लड़ने की प्रबल संभावना थी लेकिन एन वक़्त पर वे भी मौजूदा प्रत्याशी का साथ देकर कांग्रेस के पंद्रह साल के वनवास को पूरा कर वापिस सत्ता में आना चाहते हैं । और कांग्रेस के सभी दावेदार मौजूदा प्रत्याशी के कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं तो कंधे से कंधा मिलाकर स्थानीय प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित कर स्थानीय प्रत्याशी की पूरी हुई मांग को जीत दिलाने की कोशिश में है ।
भाजपा के दावेदारों की क्यों है प्रत्याशी से दूरी
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Wednesday, November 14, 2018
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