नर से नारायण बनने की रीति है सिद्धों की अनुशंसा : विज्ञमति माताजी

अभिषेक जैन कोटा-गणिनी आर्यिका विशुद्धमति माताजी ससंघ के सानिध्य में महावीर दिगंबर जैन मंदिर तलवंडी में चल रहे सिद्ध चक्र महामंडल विधान के 7वें दिन भगवान के गुणों का गुणगान करते हुए चरणों में 512 अर्घ्य समर्पित किए गए। इंदौर के ब्रह्मचारी तरुण भैया ने कहा कि इन प्रत्येक अर्घ्यों में नर से नारायण बनने की महिमा का वर्णन किया गया है। हम भी अपनी मन वचन काया से जीवन में बनाए गए रेड सिग्नलों का यदि ठीक ढंग से पालन करेंगे तो हम हमारे जीवन में होने वाली अकरणीय दुर्घटनाओं से बच सकेंगे। जिस प्रकार हम सड़क पर ट्रैफिक के नियमों का पालन करते हैं उसी प्रकार हमें हमारे जीवन में भी कुछ नियम बनाने होंगे, जिनका पालन कर हम हमारे जीवन को धन्य कर सकेंगे।

विज्ञमति माताजी ने कहा कि इस विधान को पूरे मनोयोग से आयोजित करने वाले श्रावकों को किसी भी प्रकार की आदी व्याधि दुख दरिद्रता नहीं सताती है एवं जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाएं दूर होकर जीवन में संपन्नता सौहार्द्रता संपादित होती है। हमें भी हमारे जीवन में इस प्रकार के अनुष्ठानों का आयोजन कर उसमें भाग लेना चाहिए। संध्याकालीन सत्र में ब्रह्मचारी भैया ने प्रवचनों के माध्यम से अपने जीवन को किस प्रकार अनुशासित और सफल बनाएं इसके कुछ सूत्र बताए। प्रचार संयोजक राजकुमार लुहाड़िया ने बताया कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जैन पाठशाला के छोटे-छोटे बच्चों के द्वारा एक नुक्कड़ नाटक का मंचन किया।
       

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.