क्या पोहरी में स्थानीय प्रत्याशी की माँग उठाने वाले साथ हैं

राजनीतिक हलचल-जिले की हाई प्रोफाइल सीट पोहरी में सिंधिया परिवार का रसूख रहा है फिर चाहे जीत कांग्रेस की हो या फिर भाजपा की ,इतना ही नहीं यहाँ मुकाबला धाकड़ और ब्राह्मण उम्मीदवार के बीच ही रहा और इन जातियों के अलावा कोई विधायक भी नहीं बना ।
इस बार के चुनाव में सारे मिथक टूट गए हैं एक तरफ दोनों ही दलों ने धाकड़ उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं तो वही तीसरी जाति के उम्मीदवार को कमतर नहीं आंका जा सकता है ।

इस बार लंबे अरसे से पोहरी में स्थानीय प्रत्याशी की माँग ने जोर पकड़ लिया था इसके लिए सोशल मीडिया से लेकर चौपाल पर बहस होती दिखाई दी । स्थानीय की मांग रखने वालों का कहना था कि हमें प्रत्याशी स्थानीय मिला तो हम दलगत की राजनीति से ऊपर उठकर क्षेत्र की आवाज को मजबूत करने का काम करेंगे ।
जनता की इस मांग को कांग्रेस ने सुरेश धाकड़ को उम्मीदवार बनाकर पूरा कर दिया है लेकिन सूत्रों के हबाले से मिली जानकारी के अनुसार जो लोग स्थानीय स्थानीय का जाप कर रहे थे वे निजी स्वार्थ सिद्धि के लिए और मौक़ाफ़रोश बनकर स्थानीय प्रत्याशी के न ही साथ हैं और न ही पर्दे के पीछे समर्थक की भूमिका निभा रहे हैं और इतना ही नहीं खबरों के मुताबिक वे ही बाहरी प्रत्याशी का भरपूर साथ निभा रहे हैं । इस बार पोहरी स्थानीय प्रत्याशी को तवज्जों नहीं दी तो स्थानीय विधायक का सपना सिर्फ सपना ही बनकर रह जाएगा ।
आपको बताते चलें कि सुरेश धाकड़ पोहरी के नजदीक ग्राम राँठखेड़ा के रहने वाले हैं और लंबे समय से कांग्रेस के जमीनी नेता के तौर पर कार्य कर रहे हैं, वर्तमान में धाकड़ जिला किसान कांग्रेस के जिलाध्यक्ष भी है और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेहद करीबियों में शुमार है।
एक ओर भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में विगत दिनों मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बैराड़ में जनसभा को संबोधित किया तो वहीं पोहरी में सुरेश धाकड़ के समर्थन में सिंधिया ने ।
अब देखना है कि पोहरी की जनता स्थानीय को कितना महत्व देती है या फिर उनको अब भी बाहरी लोगों के झंडे उठाने की लत जकड़े हुए हैं ।

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