वर्तमान सुधारें, भविष्य का बदलना तो तय है मुनि श्री पिच्छिका परिवर्तन समारोह :

अभिषेक जैन भोपाल-आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर पिपलानी में बुधवार को उत्सवी माहौल था। अवसर था आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनिश्री कुंथुसागर जी  महाराज की पिच्छिका परिवर्तन दिवस का, जिसका साक्षी बनने दिल्ली, जयपुर, इन्दौर समेत कई शहरों के श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में मौजूद थे। मुनिश्री के करकमलों में नवीन पिच्छिका भेंट करने का सौभाग्य मोक्ष पथ पर चल रहे त्यागी व्रती ब्रह्म‌चारी भैया व ब्रह्मचारिणी बहनों के साथ संयम का नियम अंगीकार करने वाले पुण्यार्थी श्रावकों को प्राप्त हुआ। मुनिश्री ने कहा कि वर्तमान की गोद में जो जन्म लेता है उसका नाम भविष्य है और जिसका वर्तमान परिवर्तित हो जाए भविष्य परिवर्तित होना निश्चित है।
प्रारंभ में जयकारों के बीच मुनिश्री का पाद प्रक्षालन किया गया। जैन पाठशाला के बच्चों द्वारा पिच्छिका के महत्व को दर्शाती हुई नृत्य नाटिका प्रस्तुत की गई। परमार्थ देशना व वात्सल्य गुरुवर कृति का विमोचन किया गया। मुनिश्री की पुरानी पिच्छिका ग्रहण करने का सौभाग्य महावीर सिंघई व ममता सिंघई परिवार को प्राप्त हुआ। चातुर्मास क्लास स्थापना करने वाले पुण्यार्थी परिवार एवं चातुर्मास में सहयोग करने वाले कार्यकर्ताओं का सम्मान मंदिर समिति के अध्यक्ष  व अन्य पदाधिकारियों द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन ब्रह्मचारी धीरज भैया राहतगढ़ एवं राजेश तड़ा गंजबासौदा द्वारा किया गया।
पिपलानी जिनालय में पिच्छिका परिवर्तन समारोह में मुनिश्री के प्रवचन हुए।
कर्म दोष ही हमारे अच्छे-बुरे परिणाम का कारण बनते हैं, जीवन में मन का परिवर्तन होना चाहिए
मुनिश्री ने आशीष वचन में कहा कि जब तक परिवर्तन होता रहता है संसार है। परिवर्तन रुक जाता है मोक्ष है। सारे परिवर्तन होते रहते हैं, पर संसार के क्षय के कारण नहीं बनते। एक पिच्छिका परिवर्तन है, जिसमें ह्रदय परिवर्तन हो जाए तो वह जीवन के परिवर्तन के कारण बनता है। लोग वर्तमान को भूलकर भविष्य में धर्म करने का सोचते है और भविष्य में सतकार्य करने का सोचते है पर वर्तमान की गोद में जो जन्म लेता है उसका नाम भविष्य है और जिसका वर्तमान परिवर्तित हो जाए भविष्य परिवर्तित होना निश्चित है। संसार में कोई किसी का कुछ बिगाड़ नहीं सकता। हमारे कर्म दोष ही हमारे अच्छे-बुरे परिणाम का कारण बनते हैं। जीवन उनका महत्वपूर्ण नहीं जो जीवन को जी रहे है जीवन तो उनका महत्वपूर्ण है जो जीओ और जीने के सिद्धांत के साथ स्व और पर की कल्याण की भावना मन में लिए जीवन को गति दे रहे हैं। जीवन में कुछ हो न हो मन का परिवर्तन होना चाहिए और साधु संगति से ही मन परिवर्तित होता है और साधु संगति से जीवन अमूलचूल परिवर्तन आता है।
   

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