देश में वृद्धाश्रमों की संख्या बढ़ना चिंता का विषय: मुनि श्री प्रशांत सागरजी

अभिषेक जैन आष्टा-आज देश में वृद्ध आश्रमों की संख्या बढ़ना चिंता का विषय है जबकि दूसरों को भोजन कराकर खुद खाना ही भारतीय संस्कृति है। आज लोग अपने माता-पिता को अपने घरों में ही नहीं रख पा रहे हैं। इसलिए वृद्ध आश्रम अधिक खुल रहे हैं। इसी प्रकार गोवंश को भी दूध नहीं देने पर सड़कों पर छोड़ दिया जाता है। यह बातें आष्टा-शुजालपुर मार्ग पर स्थित आचार्य विद्यासागर गो संवर्धन केंद्र गो शाला परिसर में आयोजित गो ग्रास दिवस समारोह को संबोधित करते हुए मुनिश्री  प्रशांत सागरजी महाराज, मुनि श्री निर्वेग सागर व मुनि विशद सागर महाराज ने कहीं।
लोभ के कारण घटनाये घटित हो रही निर्वेग सागर जी
मुनि श्री निर्वेग सागर जी महाराज  ने कहा कि लोभ के कारण घटनाएं घटित हो रही हैं। गाय अमृत देती है। अर्थ के लोभ के कारण व अधिक धन के लोभ की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण इस भारत की पावन धरा से गो मांस का निर्यात किया जा रहा है। कत्लखाने पहले थे वह यहां के मांसाहारी लोगों के लिए थे, लेकिन आज गाय का मांस इतना अधिक निर्यात हो रहा है कि जहां 360 कत्लखाने थे, उनके स्थान पर अब 36 हजार कत्लखाने हो गए हैं।
गाय-बैल के जीवन पर संंकट:
मुनिश्री कहा कि पहले बैलों की मदद से खेती की जाती थी। ट्रैक्टर आने से खेती इससे होने लगी और गाय बैल के जीवन पर संकट के बादल उत्पन्न हो गए। आज केड़े को कसाई खाने भेज देते हैं। गोदाम भरे हैं उसमें धर्म का पालन नहीं। मुनिश्री  ने गोसेवा करने का संदेश दिया
गो शाला में ग्रास समारोह में हुआ कार्यक्रम ।

गोदाम की जगह गो-धाम की प्रेरणा से संचालित हो रहीं 120 गोशालाएं
गोदाम की जगह आचार्यश्री विद्यासागरजी  महाराज ने गो धाम की प्रेरणा दी। उनकी प्रेरणा से प्रदेश में 120 गो शालाएं संचालित हो रही हैं। वहां पर हजारों गायों का पालन किया जा रहा है। मारना आसान है,लेकिन बचाना और पालना काफी कठिन है। जीव दया के क्षेत्र में कठिन कार्य पशुओं की रक्षा करना है। मुनिश्री ने कहा जीव दया का भाव हो गो शाला खोलना संचालित करना बड़ा कठिन कार्य होता है। इस परिस्थिति में जो दया का भाव वाले गो शाला में कार्य करते हैं आज प्रेरणा देने की सख्त आवश्यकता है।
     

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.