जो विपत्ति में धैर्य रखता है वह सफल अवश्य होता है

बाकानेर-आचार्य विद्यासागरजी के शिष्य मुनि प्रमाणसागरजी व विराटसागरजी का गुुरुवार को बाकानेर में मंगल प्रवेश हुआ। बावनगजा तीर्थ बड़वानी विहार करते समय मुनिद्वय का पहली बार बाकानेर में नगर आगमन हुआ। जैन समाज एवं ग्राम के गणमान्य नागरिकों ने मुनिद्वय के दर्शन लाभ लिया। नगर को स्वागत द्वारों से सजाया गया। मुनिद्वय 200 वर्ष पुराने जैन मंदिर को देख अभिभूत हुए। गार्डन में धर्मसभा कर मुनि श्री प्रमाणसागरजी महाराज ने कहा त्याग जीवन का उद्धार है भोग नहीं। आज के इस कठिन दौर में हर पल संभल कर चलना चाहिए। जो धर्म करता है वह बुरे वक्त को भी अच्छा बना देता है। वैराग्य का भाव मन में रखे। जो विपत्ति में धैर्य रखता है वह सफल होता है।
समय की प्रतीक्षा में मत रहो, समय का सदुपयोग करो।
जीवन के प्रति जागरूक रहो। अंतिम समय में समाधि एवं साधना का ध्यान करना चाहिए। अपने अतीत के गौरव को जगाएं। भारतीय इतिहास को देखों कई अक्षम व्यक्तियों ने भी बड़े-बड़े काम किए हैं। अगर देश में भ्रष्टाचार बंद हो जाए तो भारत आज भी सोने की चिड़िया बन सकता है। जिनके हृदय में भाव होता है वह एक पल में नियम ले लेता है। सप्ताह में 1 दिन का उपवास अवश्य करें। इसका वैज्ञानिक आधार भी है।
अर्थ के पीछे अनर्थ मत करो। पंथ को नहीं पथ को देखें।
सौभाग्य मिलना योग है उसका लाभ उठाना चाहिए। जो व्यक्ति तत्परता के साथ पुरुषार्थ करते हैं वह आगे बढ़ते हैं। मुनि प्रमाणसागरजी ने शंका समाधान कार्यक्रम के तहत उपस्थित जन समुदाय के प्रश्नों के उत्तर देकर उनकी शंकाओं का समाधान किया। मुनिद्वय के नगर आगमन पर दूर दराज से भी गुरुभक्त यहां पहुंचे। अंत में आभार जैन समाज के अध्यक्ष विनोद जोशी ने माना।
      संकलन अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी

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