अहिंसा परब्रह्म, मंगल आचरण नर से बनाता है नारायण -ज्ञानमती माताजी

अभिषेक जैन भोपाल-राजधानी में प्रवेश का मंगलाचरण है। मंगल आचरण होता है और यही मंगल आचरण नर से नारायण बनाता है। अहिंसा ही परमब्रह्म है, संसार में सर्वश्रेष्ठ धर्म है अहिंसा परमो-धर्मा है। शहरवासियों का पुण्य है कि यहां आचार्यश्री विद्यासागर महाराज से लेकर कई संतों के निरंतर चरण पड़ रहे हैं। यह उद् गार गणिनी प्रमुख आर्यिका ज्ञानमती माताजी ने शनिवार को नंदीश्वर जिनालय पहुंचने के बाद धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
पूज्य गणिनी प्रमुख आर्यिका ज्ञानमती माताजी का भोपाल में जयकारों के साथ मंगल प्रवेश हुआ। लालघाटी चौराहे से धर्म ध्वजा के तले शोभायात्रा के रूप में आर्यिका ज्ञानमती माताजी ससंघ नंदीश्वर जिनालय पहुंची। जहां उनकी श्रद्धालुओं ने अगवानी की। माताजी ने नंदीश्वर जिनालय स्थित जिन प्रतिमाओं के दर्शन किए। उसके बाद जिनालय में सभी आर्यिकाओं ने पिच्छिका मस्तक पर धारण कर नमन किया। इस अवसर पर आयोजित धर्मसभा में मुनिश्री विद्यासागर महाराज ने कहा कि हम सभी पुण्यशाली हैं कि सभी मानव के रूप में संसार में हैं। इस शरीर के साथ कर्म करके व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त होता है। जिनालय में आयोजित धर्मसभा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

अहिंसा यात्रा भोपाल से भ्रमण करते हुए पहुंचेगी अयोध्या
पंचायत कमेटी ट्रस्ट के मीडिया प्रभारी अंशुल जैन ने बताया कि आर्यिका ज्ञानमती माताजी की विश्व शांति, अहिंसा यात्रा 22 अक्टूबर से सिद्धक्षेत्र मांगीतुंगीजी शुरू हुई थी। यह अहिंसा यात्रा भोपाल से होकर गुजर रही है, जो विभिन्न तीर्थ क्षेत्रों से होते हुए अयोध्या उत्तरप्रदेश पहुंचेगी। उन्होंने बताया कि आर्यिका ज्ञानमती माताजी ने 400 जैन ग्रंथ लिखे हैं। माताजी जैन धर्म की सर्वोच्च गणिनीय आर्यिका हैं ।
धर्मसभा आज
रविवार को सुबह 8 बजे से शोभायात्रा नंदीश्वर जिनालय से शुरू होगी, जो विभिन्न मार्गों से होती हुई सुभाष चौक पहुंचेगी। इस दौरान महिला मंडल सिर पर कलश लेकर आगे चलेंगी वहीं, युवा मंडल दिव्य घोष करेगा। यहां पर यह धर्मसभा में परिवर्तित हो जाएगी। सुबह 9 बजे आर्यिका मां के आशीष वचन होंगे।

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