कर्म हमें दिखाई नहीं देते, पर अनुभव में आते हैं : वसुनंदी महाराज

अभिषेक जैन जयपुर-पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर, थड़ी मार्केट मानसरोवर में आचार्य वसुनंदी जी  महाराज 11 पिच्छी ससंघ के सानिध्य में समोशरण विधान व विश्व शांति महायज्ञ का आयोजन किया गया।
यज्ञ में बड़ी संख्या में भक्तों ने आहुतियां दीं। इस मौके पर महाराज श्री  ने कहा कि कर्म हमें दिखाई नहीं पड़ते हैं, पर अनुभव में जरूर आते हैं। भोगना पड़ता है। हम अपने मन वचन कार्य से प्रतिपल जैसी प्रवृति कर रहे हैं, उसके अनुसार कर्मों का बंध व निर्जरा कर रहे हैं। उसकी छाप हमारी आत्मा में वैसी ही पड़ती है। समोशरण व अन्य धार्मिक क्रियाओं से पुण्य का अर्जन होता है। बुरी प्रवृति से पाप का अर्जन होता है। जैसा करोगे वैसा भरोगे। बिना भोगे कर्म क्षीण नहीं होते, इस पर विश्वास रखिए, तब आपका जीवन धन्य हो सकेगा।
वही दोपहर में धर्म जागृति संस्थान का प्रथम प्रांतीय अधिवेशन भी हुआ। इसमें जैन पाठशाला की ओर से बच्चों में संस्कार, नारी शक्तिकरण और जैन संतों के विहार करने के लिए समुचित व्यवस्था पर सुझाव मांगे गए।
    

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