पंचकल्याणक महोत्सव मोह को खत्म कर आत्मा के परमात्मा बनने का नाम : अभयसागरजी महाराज

अभिषेक जैन दमोह -संसारी प्राणी अपने शरीर को निज तत्व मान लेते हैं और उसकी सेवा में जीवन बर्बाद कर देते हैं इस शरीर में करोड़ों करोड़ों रोग होते हैं। शरीर को सर्वस्थ मानना ही अज्ञानता है। निज तत्व हमारी आत्मा को नहीं पहचान पाना मानव की सबसे बड़ी भूल है। पंचकल्याणक महोत्सव मोह को समाप्त कर आत्मा के परमात्मा बनने का नाम है बड़े बाबा का छोटा रूप नशिया मंदिर में निर्मित हो गया है।
ये उदगार मुनि श्री अभय सागरजी  महाराज ने जैन हाईस्कूल प्रांगण में में कही।

वही शाकाहार उपासना परिसंघ ने कुंडलपुर तक मुनि श्री के संघ के साथ अहिंसा यात्रा निकालने का संकल्प व्यक्त किया।
समाज जब संगठित होकर कार्य करती है तो समाज का विकास होता है प्रभात सागर जी
इसके पूर्व मुनि श्री प्रभात सागर जी  महाराज ने कहा कि समाज जब संगठित होकर कार्य करती है तो समाज का विकास होता है। बड़े बाबा दमोह वालों को विरासत में प्राप्त हुए हैं उनसे बड़ा दुनिया में कोई दूसरा चुंबक नहीं है ए छोटे बाबा आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज बड़े बाबा से आकर्षित होते हैं और श्रावकगण छोटे बाबा से आकर्षित होते हैं।
आचार्य श्री का मंगल सानिध्य पाना है तो अनुशासन में रहना आवश्यक है निरीह सागर जी महाराज
इसके अलावा मुनि श्री निरीह सागर जी महाराज ने अपने प्रवचनओं में कहा कि यदि आचार्य श्री का मंगल सानिध्य पाना है तो अनुशासन में रहना आवश्यक है।
 

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