दुख आए तो केवल अपने तक रखो, खुशी आए तो सबको बांट दो प्रमाणसागरजी

अभिषेक जैन धामनोद-गुरुदेव आंखों में आंसू आने पर एक अंगुली से पोंछते हैं और खुशी आने पर 10 अंगुली से ताली बजाते हैं ऐसा क्यों? इसका सीधा और आसान जवाब है कि दुख आए तो केवल अपने तक रखना और खुशी आए तो उसे सब को बांट देना। ऐसे ही रहस्यमयी एवं ज्ञान से भरपूर सवाल-जवाब का दौर धामनोद नगर में मंगलवार को आए जैन मुनि प्रमाणसागरजी महाराज के शंका समाधान कार्यक्रम में देखने को मिले।
शिरोमणि आचार्य विद्यासागरजी के शिष्य मुनि प्रमाणसागरजी व मुनि विराट सागरजी का मंगलवार सुबह 8.30 बजे धामनोद के गुलझरा में मंगल प्रवेश हुआ। जहां से मुनिद्वय की बैंडबाजों के साथ शोभायात्रा निकाली गई। 9 बजे मुनिद्वय आदिनाथ मांगलिक भवन पहुंचे। जहां 9.30 बजे धर्मसभा में कहा कि हमें कभी भी धन पर घमंड नहीं करना चाहिए। 11 बजे मुनि आहार चर्या पर निकल गए। दोपहर 2 बजे शंका समाधान कार्यक्रम में उन्होंने श्रद्धालुओं के शंकाओं का समाधान कर कठिन प्रश्नों के उत्तर दिए।

गुरुवर, अनुकरण व अनुसरण में क्या अंतर है ?
शंका समाधान कार्यक्रम में प्रिया नीलेश जैन ने मुनि से प्रश्न किया कि गुरुवर अनुकरण और अनुसरण में क्या अंतर है। उत्तर में उन्होंने कहा कि किसी की प्रेरणा से कार्य करने को अनुकरण करना कहते है। जबकि गुरुओं के बताए मार्ग पर चलने को अनुसरण कहते हैं। अंतिम धीरेंद्र जैन ने प्रश्न किया कि आंखों में आंसू आने पर एक अंगुली से पोंछते हैं और खुशी आने पर 10 अंगुली से ताली बजाते ऐसा क्यों? उत्तर में उन्होंने कहा इसका अर्थ यह है कि जीवन में जब कभी दुख आए तो उसे केवल अपने तक ही रखना लेकिन यदि खुशी आए तो उसे सब को बांट देना। अभिषेक जैन ने प्रश्न किया भाग्य से ज्यादा समय से पहले कुछ नहीं मिलता ऐसा क्यों? उत्तर में उन्होंने कहा यह दो तो अपनी जगह सही है इसमें तीन बातें और जोड़ दीजिए विपत्ति में धर्म का साथ कभी नहीं छोड़ना, ज्यादा धन आने पर अभिमान नहीं करना एवं अपने से छोटे का तिरस्कार कभी नहीं करना जिससे आपका जीवन आसान हो जाएगा।
      

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