आचार्यश्री से मुनि दीक्षा लेकर वैराग्य पथ पर चले पथरिया के मोनू भैया, अब कहलाएंगे मुनिश्री

निरालस अभिषेक जैन सागर-शहर के एक युवक ने माता-पिता के संस्कारों से प्रेरित होकर मुनिदीक्षा ली। 28 नवंबर को ललितपुर में आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के सानिध्य में मुनि दीक्षा लेकर अपना जीवन वैराग्य पथ पर चलने के लिए समर्पित कर दिया।
एक परिचय
केरबना परिवार में जन्में ब्रम्हचारी दीपेंद्र उर्फ मोनू भैया बचपन से ही माता-पिता के संस्कारों के चलते धार्मिक प्रवृत्ति की ओर अग्रसर रहे। पथरिया के सरस्वती शिशु मंदिर में कक्षा आठवीं उत्तीर्ण की। इसके बाद भोपाल के शारदा विहार बोर्डिंग स्कूल में बारहवीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद पुन: पथरिया आ गए। बारहवीं के बाद दमोह के ओजस्विनी कॉलेज से बीकॉम तक पढ़ाई की। परिवार में चार भाई व एक बहन हैं। अपने माता-पिता की प्रेरणा के चलते वर्ष 2003 में पथरिया में मुनिश्री अजित सागरजी  महाराज के चातुर्मास के दौरान से साधु सेवा में लग गए। इसके बार वर्ष 2015 में बीना बारह में आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के सानिध्य में आजीवन ब्रम्हचार्य व्रत धारण किया। तभी से गुरू आज्ञा से वह मुनि श्रेष्ठ समय सागर जी महाराज के ससंघ में रहकर धार्मिक शिक्षा ग्रहण की। हाल ही में ललितपुर में आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के सानिध्य में 28 नवंबर को मुनिश्री की दीक्षा ली जिसके बाद अब इनका नाम मुनिश्री निरालस सागर जी महाराज रखा गया है। अब यह इसी नाम से जाने जाएंगे।

परिजनों ने बताया-
मेडिकल स्टोर चलाया और खेती भी की
परिजनों ने बताया कि मोनू भैया ने पढ़ाई के साथ-साथ अपने पैतृक कृषि में भी हाथ बंटाने गांव पहुंच जाते थे। इसके अलावा पथरिया नगर में स्वयं के मेडीकल स्टोर्स में बैठकर व्यवसाय के साथ धर्म कर्म का पठन पाठन करते रहते थे। इससे पहले उन्हांेने ब्रम्चारी व्रत की दीक्षा 2015 में ली थी। परिजनों ने बताया कि मोनू भैया की बहन कल्पना दीदी भी करीब 15 साल पहले ब्रम्हचार्य व्रत ले चुकी हैं। जो वर्तमान में जबलपुर प्रतिभा मंडल में हैं।

आचार्यश्री विद्यासागर महाराज से दीक्षा लेने के पूर्व परिजनों के साथ मोनू भैया।
 

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