पंचकल्याणक का दूसरा दिन: इंद्रासन कम्पायमान, हुई अयोध्या नगरी की रचना

अभिषेक जैन सागर -भाग्योदय तीर्थ परिसर में आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के आशीर्वाद और मुनि श्री योगसागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में चल रहे पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव में गर्भ कल्याणक पूर्व रूप में इंद्रासन के कम्पायमान के साथ सौधर्म इन्द्र का राज दरबार लगा।
सुबह के समय पात्रशुद्धि,सकलीकरण,ध्वजारोहण इंद्र प्रतिष्ठा नादी विधान के बाद अभिषेक,शांतिधारा,मंडल स्थापना, मंगल कलश, अखंड ज्योति स्थापना, नित्य पूजन के बाद मुनि श्री योगसागर जी महाराज के प्रवचन और दोपहर में याग महामंडल विधान आयोजित हुआ। इसके बाद महाआरती और धर्म सभा हुई। इन्द्र सभा में तत्व चर्चा के बाद जब सौधर्म इन्द्र का आसन कम्पायमान हुआ तब अयोध्या नगरी की रचना की गई । माता की सेवा के लिए षोडश स्वप्न दर्शन हुए स्त्रियों द्वारा माता की परिचर्चा और गर्भ कल्याणक की आंतरिक क्रियाएं मंत्र संस्कार शुद्धि गर्भ धरण आदि के साथ धर्मिक कार्यक्रम हुए।
आचार्य मुंगावली से देख रहे हैं पंचकल्याणक: मुनिश्री
आचार्यश्री भले मुंगावली में विराजमान है लेकिन वहां बैठ कर भाग्योदय   के पंचकल्याणक को देख रहे हैं। जल्दी ही वे सागर आएंगे । हम सब विद्या के सागर में लीन हैं यह बात धर्मसभा में ज्येष्ठ मुनि योग सागर महाराज ने कही। उन्होंने कहा गुरु कृपा बहुत ऊंची होती है आप सभी को जो आनंद की प्राप्ति हो रही है त्याग के भाव मन में आ रहे हैं संसार से बैराग का मन हो रहा है यह सब गुरुदेव की कृपा से ही संभव हो रहा है सात्विक पुण्य का संचयन भी गुरुदेव की कृपा से होता है।
अच्छी संतान को जन्म देना महत्वपूर्ण है: विमल सागर जी
पंचकल्याणक महोत्सव में गर्भ कल्याणक पर प्रात:काल आर्यिका अनंत मति माताजी ने प्रवचन दिए एवं गुरु की महिमा का वर्णन किया।।
दोपहर में मुनि श्री विमल सागर जी महाराज ने कहा कि गर्भ कल्याणक महत्वपूर्ण है अच्छी संतान को जन्म देना महत्वपूर्ण है। पंच कल्याणक गजरथ में शामिल होने और मुनियों का सानिध्य पाने के लिए देश के विभिन्न नगरों जयपुर, इंदौर, दिल्ली, मुबई, भोपाल, जबलपुर, विदिशा से जैन समाज के लोग आ रहे हैं।
    

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.