अकाल मौत उनकी ज्यादा होती है जो जिंदगी को रफ्तार से भगाते हैं: आचार्य विनम्र सागर जी

अभिषेक जैन भिंड-अनेक पलों का पुंज जिंदगी है, एक पल का खेल मृत्यु है। हमें और कुछ मिले या न मिले पर मृत्यु अवश्य मिलेगी। मौत को टाला नहीं सकता, अपनी जिंदगी में खुशी पैदा करके मृत्यु को खुशमिजाज बनाया जा सकता है। जब हम अच्छे विचारों में मरण करें तो मृत्यु शुभ है। रोते हुए मरें तो मृत्यु अशुभ है। हंसकर जीने वाला ही हंसकर मरण कर सकता है। शरीर का जाल और दुनिया का जंजाल जो हटा चुका है, वो व्यक्ति कैसे भी मरे े पर अकाल मौत से नहीं मर सकता है। क्योंकि तीव्र पाप कर्म वाला शरीर के जाल से और जंजाल से मुक्त नहीं हो सकता। यह वचन नसिया जैन मंदिर परिसर में आयोजित धर्मसभा में जैनाचार्य विनम्र सागर महाराज ने कहे।
उन्होंने कहा कि अकाल मौत उनकी ज्यादा होती है, जो जिंदगी को रफ्तार से भगाते हैं। हार्ट अटैक होना, घातक बीमारी होना, एक्सीडेंट होना, फांसी लगाना, जहर खाना, कुएं में गिरना, शस्त्र से घात होना युद्ध में मरना, पानी में डूब जाना आदि ये सभी घटनाएं तभी होती हैं। जब तीव्र पाप कर्म फुलफार्म के साथ अपना असर दिखाता। तब ज्ञानी मनुष्य भी लाचार हो जाता है, लेकिन ज्ञानी मनुष्य अकाल मौत को टालने में सक्षम है। मौत हर किसी की निश्चित है। मौत को कभी भी को आमंत्रित नहीं करता कोई भी व्यक्ति मौत को निमंत्रण नहीं देता। मौत का नाम सुनते ही सबकी रूह कांप जाती है, सभी लोग भयभीत हो जाते हैं, अगर किसी व्यक्ति को यह मालूम चल जाए कि उसकी मृत्यु तीन दिन बाद होनी है, तो वह हर संभव अपने बचने का यह प्रयास करेगा वैद्य, डॉक्टर एवं गुरुओं के पास जाता है। अपनी जिंदगी की भीख मांगता है कहता है कि अभी थोड़ी सी मोहलत और मिल जाए अभी हमने ठीक से जिंदगी देखी ही नहीं कई सारे काम पूरे हुए नहीं है। लेकिन इसके विपरीत किसी व्यक्ति की अकाल मौत आ जाए तो वह अपनी मौत से भयभीत न होकर तुरंत ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। इस मौके पर सैकड़ों जैन श्रद्धालुगण मौजूद रहे।

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