शिवपुरी। जिन कंधों का पर व्यवस्था का भार हो और वही निमयों का उल्लघंन करें तो इससे बड़ी दुर्भाग्य की बात क्या होगी। यह दुर्भाग्य पर्यटन नगरी शिवपुरी के साथ जुड़ा हुआ है। आम लोगों की बात तो छोड़िए यहां पर तो पुलिस के लोग भी यातायात के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। पुलिस के अधिकांश वाहनों की प्लेट से नम्बर गायब हैं और नम्बर की जगह पुलिस और वाहन चालकों की जातियां लिखी हुई हैं, जो कि उनकी दबंगता को जाहिर करती है। नियमों को धता बताकर दौड़ने वाले बिना नम्बर प्लेट के वाहन दुर्घटना का कारक भी बन रहे हैं। शहर में ऐसे नजारे आए दिन आए दिन देखने को मिल रहे हैं। आज दोपहर जिला अस्पताल से सटे अग्रसेन तिराहे पर एक पुलिस वाले की बुलेट ने सड़क दुर्घटना को अंजाम दिया। दुर्घटना करने वाली बुलेट गाड़ी की प्लेट पर नम्बर की जगह आगे-पीछे सिर्फ बड़े-बड़े अक्षरों में गुर्जर लिखा था। दुर्घटना करने वाली गुर्जर लिखी इस बुलेट को यातायात कर्मियों ने रोका तो सही लेकिन पता चला कि वह पुलिसकर्मी है तो फिर उसे बिना कार्रवाई के ही जाने दिया। इस घटना से यातायात पुलिस की पक्षपातपूर्ण कार्रवाई साफ जाहिर होती है जो कि आम और खास आदमी में फर्क दर्शाने के लिए काफी है।
नाबालिग भर रहे वाहनों पर फर्राटा-शहर की सड़कों पर नाबालिग लड़के-लड़कियों को फर्राटा भरते आसानी से देखा जा सकता है। यह नाबालिग दो पहिया वाहनों पर काफी तेज रफ्तार से दौड़ते हैं। खासबात यह है कि यह नाबालिगों के स्वयं के तो दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंका बनी ही रहती है, लेकिन दूसरों के लिए भी यह खतरा पैदा करते हैं। खासबात यह है कि इन नाबालिगों को रोकने की जिम्मेदारी जिनके कंधों पर उनका ध्यान इस ओर नहीं जाता। इन ध्यान जाता तो सिर्फ चालान काटने पर या फिर गप्पे लड़ाने पर। शहर के प्रमुख चौराहों पर तैनात यातायातकर्मियों को आसपास के दुकानदारों या ठेले वालों के यहां पर आसानी से गप्पें लड़ाते हुए देखा जा सकता है।
माधवचौक पर ही बिगड़े यातायात व्यवस्था के हालात -
यातायात पुलिस शहर के हृदय स्थल माधवचौक पर ही यातायात व्यवस्था को दुरुस्त नहीं कर पा रही है तो अन्य क्षेत्रों के कैसे हालात होंगे इसका अंदाजा आप स्वयं ही लगा सकते हैं। माधवचौक पर स्थित पुलिस चौकी पर यातायात के बिगड़े हुए हालात हैं, जबकि कागजों में यहां हमेशा यातायातकर्मी तैनात रहते हैं। अब यह यातायात व्यवस्था को सुधारते हैं या फिर चालानी कार्रवाई में मशगूल रहते हैं यह और बात है।
प्रतिबंध के बावजूद भी शहर में भारी वाहनों का प्रवेश
वैसे तो शहर में सुबह 8 बजे से ही भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित हो जाता है, लेकिन यह प्रतिबंध सिर्फ नाम के लिए ही भारी वाहनों को शहर की सड़कों से निकलते हुए आसानी से देखा जा सकता है। खासबात यह है कि यह भारी वाहन न केवल शहर के अन्य मार्गों से निकलते हैं, बल्कि शहर के बीचों बीच माधवचौक से आसानी से निकलते हुए देखे जा सकते हैं। बताया जाता है