भाव विभोर पल गणिनी ज्ञानमति माताजी ने आचार्य श्री सय की तत्वचर्चा साथ ही उन्होने आचार्य श्री को जिनवाणी भेट की जिसे गदगद भावो से लिया माताजी ने किया कुंडलपुर की और विहार

खुरई-गणनी आर्यिका ज्ञानमति माताजी ने प्रवचन देते हुए कहा कि अात्मा का विकास, अात्मशुद्धि काे लक्ष्य रखकर उसके अनुसार जीवन जीना है। अाध्यात्म अात्म विशुद्धि की प्रक्रिया है। विज्ञान पदार्थ के रहस्य काे खाेजता है, अाध्यात्म अात्मा काे खाेजता है अाज जितनी मात्रा में पदार्थ विज्ञान विकसित हुअा है उतनी ही मात्रा में अात्मज्ञान काे विकसित हाेना चाहिए। विज्ञान की दाैड़ में अाध्यात्म पीछे रह गया है।
पदार्थ काे जानने के प्रत्यनाें में हम अपने काे भुला बैठें, अात्मज्ञान का अर्थ है अपने अाप काे जानना, अपने अापकाे जानने का तात्पर्य अपने में निहित वासनाअाें काे अाैर विकाराें काे देखना है। हम यह जाने कि मैं काैन हूं, मैं कहां से अाया, मैं मर कर कहां जाउंगा, मेरे जीने का क्या उद्देश्य, यह जानना ही मानव के जीवन का चरम लक्ष्य है।
पीठाधीश रविन्द्र कीर्ति स्वामी जी ने कहा कि पंथभेद, मतभेद काे भुलाकर सभी काे एकजुटता से काम करना चाहिए। अहिंसा परमाे धर्म: हमारा लक्ष्य है। जैन जयतु शासनम् की भावना के साथ सभी काे संगठित हाेकर चलना हाेगा। मानव कल्याण की भावना सर्वाेपरि है, इसे सदैव याद रखना हाेगा।
खुरई का इतिहास और स्वर्णिम हो  गया जब गणिनी ज्ञानमति माताजी  द्वारा आचार्य भगवन को जिनवाणी भेट की वह पल  अढ्भुत था माताजी ने आचार्य श्री से गहन तत्व चर्चा की वही आहरचर्या उपरांत  दोपहर माताजी संघ का कुंडलपुर की और विहार हो गया
       संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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